आत्मानुभूति तथा उसके मार्ग - स्वामी विवेकानंद | Aatmanubhuti tatha uske marg - Swami Vivekanand Book PDF

 


आत्मानुभूति तथा उसके मार्ग - स्वामी विवेकानंद पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Aatmanubhuti tatha uske marg- Swami Vivekanand (Ramkrishna-Aashram) Book PDF

इस पुस्तक का नाम है : आत्मानुभूति तथा उसके मार्ग - स्वामी विवेकानंद | इस पुस्तक का प्रकाशन रामकृष्ण आश्रम ने किया है | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 8 MB हैं | पुस्तक में कुल 152 पृष्ठ हैं |

Name of the book is : Aatmanubhuti tatha uske marg.This book is written by : Swami Vivekanand. Approximate size of the PDF file of this book is : 8 MB. This book has a total of 152 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
स्वामी विवेकानंद  अध्यात्म, धर्म, रामकृष्ण आश्रम  8 MB152

पुस्तक से :

ज्ञान योग का अधिकारी बनने के लिए मनुष्य को पहले 'शम' और 'दम' में अपनी गति कर लेना चाहिए. दोनों में गति एक ही साथ कि जा सकती है. इंद्रियों को उनके केंद्र में स्थिर करना और उन्हें बहिर्मुख न होने देने का नाम है 'शम' तथा 'दम'. अब मैं तुम्हें इंद्रिय शब्द का आर्थ समझाता हूँ. देखों, ये तुम्हारी आँखें हैं, लेकिन ये दर्शनेंद्रिय नहीं है. ये तो सिर्फ देखने का साधन मात्र है. जिसे दर्शनेंद्रिय कहते हैं वह यदि मुझमें न हो तो बाहरी आँखें होने पर भी मुझे कुछ दिखलाई न देगा.

डाउनलोड लिंक :

"आत्मानुभूति तथा उसके मार्ग - स्वामी विवेकानंद" पुस्तक को सीधे एक क्लिक में मुफ्त डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए गए डाउनलोड बटन पर क्लिक करें |

To download "Aatmanubhuti tatha uske marg" PDF book in just a single click for free, simply click on the download button provided below |

Download PDF (8 MB)



If you like this book we recommend you to buy it from the original publisher/owner. Thank you.


रामकृष्ण आश्रम श्रेणी की अन्य पुस्तकों को पढ़ने और डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें |

रामकृष्ण-आश्रम