दोहावली (श्रीगोस्वामी तुलसीदास) गीता प्रेस - Dohavali (Goswami Tulsidas) Gita-Press PDF

 

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दोहावली (गोस्वामी श्रीतुलसीदास) गीता प्रेस पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Dohavali (Goswami Tulsidas) Gita-Press Book PDF

इस पुस्तक का नाम है : दोहावली | इस पुस्तक के रचनाकार हैं : श्रीगोस्वामी तुलसीदास | पुस्तक के टीकाकार है : हनुमान प्रसाद पोद्दार | पुस्तक का प्रकाशन गीता प्रेस ने किया है | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 33 MB हैं | पुस्तक में कुल 160 पृष्ठ हैं |

Name of the book is : Dohavali (Goswami Tulsidas) Gita-Press | This book is written by : Goswami-Tulsidas | Approximate size of the PDF file of this book is : 33 MB. This book has a total of 160 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
श्रीगोस्वामी तुलसीदास भक्ति, धर्म, गीता प्रेस  33 MB160

पुस्तक से :

भगवानकी असीम अनुकम्पा से ही उनके भक्तोंकी अमृतवाणी के रसास्वादन का सौभाग्य प्राप्त होता है. वस्तुतः जितना समय भगवान और उनके भक्तोंकी चर्चा में बीते उतना ही समय सफल एवं सार्थक समझा जाना चाहिए.

 

दोहावली प्रातःस्मरणीय भक्तकुल-चूड़ामणि गोस्वामी तुलसीदास की प्रमुख कृतियों में है और भक्त-समाज में इसका बहुत आदर है. गोस्वामीजी ने अपने अनुभूतियों को बड़े ही भावपूर्ण दोहों में व्यक्त किया है. भक्ति, ज्ञान, वैराग्य, सदाचार, प्रेम, नीति आदि विविध विषयों पर इतने सरल दोहे गोस्वामी जी की कृतियों के अतिरिक्त शायद ही कहीं मिलें. भक्त की प्रासादिक वाणी का आनंद और मिल कहा सकता है?

 

हृदय में निर्गुण ब्रह्मका ध्यान, नेत्रों के सामने प्रथम तीन दोहोंमें कथित सगुण स्वरुप की सुन्दर झांकी और जीभ से सुन्दर रामनामका जप करना. तुलसीदासजी कहते हैं कि यह ऐसा है मानो सोनेकी सुंदर डिबिया में मनोहर रत्न सुशोभित हो. सगुण रूप के ध्यान में तो प्रीतियुक्त रूचि नहीं है और निर्गुणस्वरुप मन से दूर है (यानि समझ में नहीं आता). तुलसीदास कहते हैं कि ऐसी दशा में रामनामस्मरणरूपी संजीवनी बूटी का सदा सेवन करो.


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