कालिदासकृत मेघदूत हिन्दी पुस्तक पीडीएफ | Meghdoot by Kalidas Hindi Book PDF

   

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कालिदासकृत मेघदूत हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Meghdoot by Kalidas Hindi Book

इस पुस्तक का नाम है : कालिदासकृत मेघदूत | इस ग्रन्थ के रचनाकार हैं : कालिदास | पुस्तक  का प्रकाशन राजकमल प्रकाशन ने किया है | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 8 MB हैं | पुस्तक में कुल 238 पृष्ठ हैं |

Name of the book is :Meghdoot by Kalidas Hindi Book | This book is published by : Rajkamal Prakashan | Approximate size of the PDF file of this book is : 8 MB. This book has a total of 238 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
कालिदासश्रृंगार-रस, साहित्य 8 MB238


पुस्तक से :

हे कामचारी मेघ, जिसकी गंगारूपी साड़ी सरक गई है ऐसी उस अलकापुरी को प्रेमी कैलाश की गोद में बैठी देखकर तुम न पहचान सको, ऐसा नहीं हो सकता. बरसात के दिनों में उसके ऊँचे महलों पर जब तुम छा जाओगे तब तुम्हारे जल की झड़ी से वह ऐसी सुहावनी लगेगी जैसे मोतियों के जालो से गुथें हुए घुँघराले केशों वाली कोई कामिनी हो.

 

वहाँ अलका की वधुएँ षडऋतुओं के फूलों से अपना श्रृंगार करती है. शरद में कमल उनके हाथों के लीलारविन्द है. हेमंत में टटके बालकुंद उनके घुँघराले बालों में गुँथे जाते हैं. शिशिर में लोध्र पुष्पों का पीला पराग वे मुख की शोभा के लिए लगाती है. बसंत में कुरबक के नये फूलों से अपना जूड़ा सजाती है. गर्मी में सिरस के सुन्दर फूलों को कान में पिरोती हैं. और तुम्हारे पहुँचने पर वर्षा में जो कदम्ब पुष्प खिलते हैं उन्हें माँग में सजाती है. 


 

वहाँ पत्थर से बने हुए महलों के उन अट्टों पर जिनमें तारों की परछाई फूलों सी झिलमित होती है, यक्ष ललितांगनाओं के साथ विराजते हैं. तुम्हारे जैसी गंभीर ध्वनि वाले पुष्कर वाद्य जब मंद-मंद बजते हैं, तब ये दंपत्ति कल्प वृक्ष से इच्छानुसार प्राप्त रतिफल नामक मधु का पान करते हैं.

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