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अभिज्ञान शाकुंतलम (कालिदास) हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Abhigyan Shakuntalam (Kalidas) Hindi Book
इस पुस्तक का नाम है : अभिज्ञान शाकुंतलम (कालिदास) | इस ग्रन्थ के रचनाकार हैं : महाकवि कालिदास | पुस्तक का प्रकाशन "घनश्यामदास एन्ड संस फैज़ाबाद" ने किया है | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 304 MB हैं | पुस्तक में कुल 564 पृष्ठ हैं | इस रचना के संपादक हैं : डॉ राजदेव मिश्र.Name of the book is :Abhigyan Shakuntalam (Kalidas) | This book is published by : Ghanshyamdas and Sons, Faizabad | Approximate size of the PDF file of this book is : 304 MB. This book has a total of 564 pages.
पुस्तक के लेखक | पुस्तक की श्रेणी | पुस्तक का साइज | कुल पृष्ठ |
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कालिदास | साहित्य, नाट्य | 304 MB | 564 |
पुस्तक से :
सेवार घास से घिरा हुआ कोमल भी मनोहर लगता है. मलिन कलंक भी चन्द्रमा की शोभा को बढ़ाता है. वल्कल वस्त्र में भी यह सुकुमार कृशांगी (शकुंतला) अत्यंत सुन्दर लग रही है. क्योंकि सुन्दर (रम्य) आकृतियों के लिए कौन सी वस्तु अलंकार नहीं होती अर्थात स्वभाव सुन्दर व्यक्ति के लिए सबकुछ शोभावर्धक ही होता है.
यद्यपि प्रिया (शकुंतला) सरलता से प्राप्त होने योग्य नहीं है, तथापि मेरा मन उसके प्रेमयुक्त भावों को देखकर आश्वस्त है क्योंकि कामभाव के सफल न होने पर भी दोनों (प्रेमी एवं प्रेमिका) की परस्पर अभिलाषा प्रेम को उत्पन्न करती है. कामासक्त व्यक्ति अपने प्रिय की प्रत्येक चेष्टा को अपने लिए ही समझता है; भले ही वे चेष्टायें उसके लिए की गयी हो अथवा न की गयी हों. यहाँ शकुंतला के प्रति दुष्यंत की भी यही स्थिति है.
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