कंकाल (जयशंकर प्रसाद) हिन्दी पुस्तक पीडीएफ | Kankal (Jai Shankar Prasad) Hindi Book PDF

       

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(चित्र केवल प्रतीकात्मक)



कंकाल (जयशंकर प्रसाद) हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Kankal (Jai Shankar Prasad) Hindi Book

इस पुस्तक का नाम है : कंकाल | इस ग्रन्थ के रचनाकार हैं : जयशंकर प्रसाद | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 2 MB हैं | पुस्तक में कुल 185 पृष्ठ हैं |

Name of the book is : Kankal | This book is written by : Jai Shankar Prasad. Approximate size of the PDF file of this book is : 2 MB. This book has a total of 185 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
जयशंकर प्रसादसाहित्य, उपन्यास 2 MB185


पुस्तक से :

साधुओं का भजन कोलाहल शांत हो गया था. निःस्तब्धता रजनी के मधुर क्रोड़ में जाग रही थी. निशीथ के नक्षत्र गंगा के मुकुल में अपना प्रतिबिम्ब देख रहे थे. शांत पवन का झोंका सबको आलिंगन करता हुआ विरक्त के समान भाग रह था. महात्मा के ह्रदय में हलचल थी. वह निष्पाप हृदय ब्रह्मचारी दुश्चिंता से मलिन, शिविर छोड़कर कंबल डाले, बहुत दूर गंगा की जल-धारा के समीप खड़ा होकर अपने चिरसंचित पुण्यो को पुकारने लगा. 

 

वह अपने विराग को उत्तेजित करता परन्तु मन की दुर्बलता प्रलोभन बन कर विराग की प्रतिद्वंदिता करने लगती और इसमें उसके अतीत की स्मृति भी उसे धोखा दे रही थी. जिन-जिन सुखों को वह त्यागने की चिंता करता, वे ही उसे धक्का देने का उद्योग करते. दूर सामने दिखनेवाली कलिंदजा की गति का अनुकरण करने के लिए वह मन को उत्साह दिलाता परन्तु गंभीर अर्द्ध-निशिथ के पूर्ण उज्जवल नक्षत्र बालकाल की स्मृति के सदृश मानस पटल पर चमक उठते थे. अनंत आकाश में जैसे अतीत की घटनाएँ राजताक्षरों से लिखी हुई उसे दिखाई पड़ने लगी.


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