वैशाली की नगरवधू (आचार्य चतुरसेन) हिन्दी पुस्तक पीडीएफ | Vaishali ki Nagarvadhu Book PDF

       

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(चित्र केवल प्रतीकात्मक)



वैशाली की नगरवधू हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Vaishali ki Nagarvadhu Hindi Book

इस पुस्तक का नाम है : वैशाली की नगरवधू | इस ग्रन्थ के रचनाकार हैं : आचार्य चतुरसेन | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 10 MB हैं | पुस्तक में कुल 422 पृष्ठ हैं |

Name of the book is : Vaishali ki Nagarvadhu | This book is written by : Acharya Chatursen. Approximate size of the PDF file of this book is : 10 MB. This book has a total of 422 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
आचार्य चतुरसेन
साहित्यउपन्यास 10 MB422


पुस्तक से :

इस अलौकिक वेश-भूषा में उस दिव्य सुंदरी आम्रपाली को देखकर प्रांगण में से सैकड़ों कंठों  से आनंद ध्वनि विस्तारित हो गई. लोगों की सम्पूर्ण जीवनी शक्ति उनकी दृष्टि में ही केंद्रित हो गयी. फिर ज्यों ही आम्रपाली ने अपने दोनों हाथों की अंजलि में फूलों को लेकर समस्त नागरिकों की ओर मृदु-मंद मुस्कान के साथ फेका, त्यों ही 'देवी आम्रपाली की जय', 'मधुपर्व की रानी की जय', 'जनपद कल्याणी नगर-वधु की जय' से दिशाएँ गूंज उठी.

 

सात दिन के अनवरत प्रयत्न से चित्र बन कर तैयार हो गया. इसके लिए आम्रपाली को प्रत्येक भाव-विभाव के लिए अनेक बार नृत्य करना पड़ा. जो चित्र सम्पूर्ण हुआ वह साधारण चित्र न था; वह मूर्तिमान कला थी. देवी आम्रपाली की अलौकिक शरीर-छटा और कला का विस्तार ही उस चित्र में न था, उसमें आम्रपाली के असाधारण संस्कृत आत्मा तक प्रतिबिम्बित थी. वह चित्र वास्तव में संपूर्ण रीति पर आखों से नहीं देखा जा सकता था, उसे देखने के लिए दिव्य भावुकता की आवश्यकता थी. चित्र को देख कर आम्रपाली स्वयं भी चित्रवत हो गयी.


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