ययाति (वी. एस. खांडेकर) हिन्दी उपन्यास पीडीएफ | Yayati (V. S. Khandekar) Hindi Novel PDF

              

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(चित्र केवल प्रतीकात्मक)


ययाति (वी. एस. खांडेकर) हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Yayati (V. S. Khandekar) Hindi Book

इस पुस्तक का नाम है : ययाति | इस ग्रन्थ के रचनाकार हैं : विष्णु सखाराम खांडेकर  | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : राजपाल. इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 3 MB हैं | पुस्तक में कुल 322 पृष्ठ हैं |

Name of the book is : Yayati . The book is authored by: Vishnu Sakharam Khandekar. This book is published by Rajpal. Approximate size of the PDF file of this book is : 3 MB. This book has a total of 322 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
विष्णु सखाराम खांडेकरसाहित्य, उपन्यास 3 MB322


पुस्तक से :

राजवंश में जन्मा इसीलिए मैं राजा बना, राजा की हैसियत से जिया. इसमें मेरा न न तो गुण है न दोष. हस्तिनापुर के महाराजा नहुष के पुत्र के रूप में परमात्मा ने मुझे जन्म दिया. पिता के बाद राजगद्दी पर सीधा जा बैठा, इसमें भी कोई बड़प्पन है? राजप्रासाद के शिखर पर जा बैठे कौए को भी लोग बड़े कौतुहल से देखा करते हैं. 

 

राजपुत्र न होकर मैं यदि कोई ऋषिकुमार हुआ होता तो किस तरह का जीवन बन गया होता मेरा? शरद की नृत्य-मग्न चांदनी रात सा या शिशिर की अँधेरी रात सा? क्या पता किसी आश्रम में पैदा होता, तो क्या अधिक सुखी बन जाता? नहीं! इस प्रश्न का उत्तर खोजते खोजते मैं हार चुका हूँ. रह-रहकर एक ही विचार मन में आता है कि शायद तब मेरी जीवन कहानी बिलकुल ही मामूली सी हो गयी होती, किसी वल्कल जैसी. विविध रंगों के ताने-बाने से बुने राजवस्त्र का रूप उसे कभी प्राप्त नहीं होता. जो भी हो आज भी इस राजवस्त्र की सभी छटाएं मेरे मन को भाती नहीं है.


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