श्रीकृष्ण भजनमाला हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Shri Krishna Bhajanmala Hindi Book
इस पुस्तक का नाम है : श्रीकृष्ण भजनमाला | इस ग्रन्थ के लेखक/संपादक है: श्रीमती शकुन सक्सेना | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : बी एस प्रमिन्दर प्रकाशन | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 13 MB है | इस पुस्तक में कुल 50 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "श्रीकृष्ण भजनमाला" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.
Name of the book is : Shri Krishna Bhajanmala | Author/Editor of this book is : Smt. Shakun Saxena | This book is published by : B. S. Pramindar Publication | PDF file of this book is of size 13 MB approximately. This book has a total of 50 pages. Download link of the book "Shri Krishna Bhajanmala" has been given further on this page from where you can download it for free.
पुस्तक के संपादक | पुस्तक की श्रेणी | पुस्तक का साइज | कुल पृष्ठ |
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श्रीमती शकुन सक्सेना | धर्म, भक्ति | 13 MB | 50 |
पुस्तक से :
भगवान बता चरणों में तेरे, मैं कैसे शीश नवाऊंगी, दीनानाथ चरणों में तेरे, मैं कैसे शीश नवाऊँगी । तेरा नाम सुमिरने बैठी तो, मेरा मन भटका चहु ओर दिशा, भगवान बतादे तू मुझको, मैं कैसे तुमको पाऊँगी । दीपक की बाती जलाई थी, तेरी ज्योति उतारन को प्रभो जी, मेरे हाथ कांपने लगे प्रभो, मैं कैसे तुझे मनाऊंगी।
मन कृष्ण कन्हैया रें, झट आकर तुझे मनाऊंगी थोड़ा सा जल मैं ले आऊ, उस जल से चरनन को धोऊं, फट चरणामृत पी जाऊंगी। मन मोहन कृष्ण कन्हैया रे ॥ तुलसी की पाती में ले आऊ, उस का तुझको भोग लगाऊ झट जूठन तेरी खाऊंगी। मन मोहन कृष्ण कन्हैया रे ॥
मैं हरि चरनन की दासी, फिर बनी हुई क्यों प्यासी । ये तो मैंने माना है, मुझे ज्ञान नहीं कुछ तेरा, क्या इतना काफी नहीं है, कि मैं बनी तुम्हारी तुम्हारी दासी । मैं० यदि नाम ना लिया तुम्हारा, पर साथ तेरा ही चाहा, क्या इतनी काफी नहीं है, कि मैं बनी तुम्हारी दासी मैं०
(नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)
डाउनलोड लिंक :
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