पातंजल योग सूत्र योग दर्शन पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Patanjal Yog Sutra Yog Darshan Book
इस पुस्तक का नाम है : पातंजल योग सूत्र योग दर्शन | इस पुस्तक के लेखक हैं : श्री नन्दलाल दशोरा | पुस्तक का प्रकाशन रणधीर प्रकाशन हरिद्वार ने किया है. इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 9 MB हैं | पुस्तक में कुल 250 पृष्ठ हैं |
Name of the book is : Patanjal Yog Sutra Yog Darshan | This book is written/published by : Randheer Prakash, Haridwar | Approximate size of the PDF file of this book is : 13 MB. This book has a total of 250 pages.
पुस्तक के लेखक | पुस्तक की श्रेणी | पुस्तक का साइज | कुल पृष्ठ |
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श्री नन्दलाल दशोरा | योग, धर्म | 9 MB | 250 |
पुस्तक से :
आत्मा चैतन्य है. वह दृष्टा एवं साक्षी है. किन्तु वह निष्क्रिय दृष्टा मात्र नहीं है. वह प्रकृतिजन्य किसी भी क्रिया में स्वयं भाग नहीं लेता किंतु वह सभी क्रियाओं का कारण और उनकी प्रेरक शक्ति है. चित्त की वृत्तियाँ जड़ हैं जिनके निरोध से चैतन्य आत्मा अपने शुद्ध रूप में अवस्थित हो जाती है. यही 'कैवल्य' अथवा 'मोक्ष' की स्थिति है. जिस प्रकार शुद्ध स्वर्ण में मिलावट करने पर विभिन्न प्रकार के स्वर्णाभूषण बनाए जाते हैं किंतु उनके परिशोधन से मिलावट को निकालकर पुनः शुद्ध स्वर्ण प्राप्त किया जाता है ऐसी ही प्रक्रिया योग की है जिससे प्रकृति अन्य समस्त तत्वों को अलग कर शुद्ध आत्म तत्व की उपलब्धि की जाती है. इसमें आत्मा अपने स्वरूप में स्थित हो जाती है जो उसका शुद्ध स्वरूप है.
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