शिव महिमा स्तोत्र - गीता प्रेस | Shiv Mahima Stotra - Gita Press PDF

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शिव महिमा स्तोत्र पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Shiv Mahima Stotra Book

इस पुस्तक का नाम है : शिव महिमा स्तोत्र | इस पुस्तक के संपादक हैं : श्री पुष्प दन्त | पुस्तक के प्रकाशक हैं : गीता प्रेस, गोरखपुर | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 2 MB हैं | इस पुस्तक में कुल 66 पृष्ठ हैं |

Name of the book is : Shiv Mahima Stotra. Editor of this book is : Radheshyam Khemka. The book is published by : Gita Press, Gorakhpur. Approximate size of the PDF file of this book is 2 MB. This book has a total of 66 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
श्री पुष्प दन्त भक्ति, धर्म, अध्यात्म2 MB66



पुस्तक से : 

पुस्तकके रचयिता पुष्पदन्ताचार्य गन्धर्वोंके राजा थे। वे परमशिवभक्त होनेसे प्रतिदिन नियमतः शिवार्चन करते थे। दैवी शक्तिसे सम्पन्न होनेके कारण वे अदृश्य होनेमें सक्षम थे। वे छिपकर प्रमोद राजा के उद्यान से पूजाके लिये नित्य पुष्प ले जाया करते थे, वाटिकाके रक्षक इस कृत्यको समझ नहीं पाते थे.

 

'हे त्रिपुरारि ! कोई वादी इस सम्पूर्ण जगत् को ध्रुव (नित्य) कहता है, कोई इस सबको अध्रुव (असत् या अनित्य) बताता है और कोई तो विश्व के समस्त पदार्थों में कुछ नित्य और कुछ अनित्य है- ऐसा कहता है उन सब वादों से आश्चर्यचकित-सा मैं उन्हीं वादों (स्तुति - प्रकारों) से आपकी स्तुति करता हुआ लज्जित नहीं हो रहा हूँ; क्योंकि मुखरता (वाचालता) धृष्ट होती ही है' (उसे लज्जा कहाँ) ॥ ९ ॥

 

'हे जगदीश ! समस्त आकाशमें फैले तारों के सदृश फेनकी शोभावाला जो गंगाजल का प्रवाह है, वह आपके सिरपर जलबिन्दु के समान (छोटा) दिखायी पड़ा और (सिरसे नीचे गिरनेपर) उसी जलबिन्दु ने समुद्ररूपी करधनी (वलय) - के भीतर संसारको द्वीपके समान बना दिया। बस, इसीसे आपका दिव्य शरीर सर्वोत्कृष्ट है यह अनुमेय हो जाता है' ॥ १७ ॥

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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