अग्नि पुराण (गीता प्रेस) हिन्दी ग्रन्थ | Agni Puran (Gita-Press) Hindi Book PDF

 

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अग्नि पुराण (गीता प्रेस) हिन्दी ग्रन्थ के बारे में अधिक जानकारी | More details about Agni-Puran (Gita-Press) Hindi Book

इस पुस्तक का नाम है : अग्नि पुराण | इस पुस्तक के लेखक/प्रकाशक हैं : गीता प्रेस, गोरखपुर | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 2 GB हैं | पुस्तक में कुल 878 पृष्ठ हैं |

Name of the book is Agni-Puran | This book is written/published by : Gita Press | Approximate size of the PDF file of this book is: 2 GB. This book has a total of 878 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
गीता प्रेसभक्ति, धर्म, पुराण2 GB878


पुस्तक से :

विभिन्न विषयोंके विवेचन एवं लोकोपयोगिता की दृष्टि से 18 पुराणों में अग्नि-पुराण"का सर्वाधिक महत्त्व है। इसमें अनेक विद्याओंका सुन्दर समावेश है। इस पुराणके सन्दर्भ में पुराणकारका कथन है— 'आग्नेये हि पुराणेऽस्मिन सर्वाविद्याः प्रदर्शिताः' (अग्नि० ३८३ । ५१ )। अर्थात् 'इस आग्नेय (अग्नि) पुराणमें सभी विद्याओंका वर्णन है। भगवान् अग्निदेवने महर्षि वसिष्ठ को यह पुराण सुनाया है। अतः इसे अग्निपुराण कहते हैं।

 

पुराणोंके 5 लक्षण बताये गये हैं- १. सृष्टि-उत्पत्ति वर्णन, २. सृष्टि-विलय वर्णन, ३. वंश परम्परा वर्णन, ४. मन्वन्तर वर्णन और ५. विशिष्ट व्यक्ति चरित्र वर्णन. पुराणके पाँचों लक्षण तो अग्नि-पुराणमें घटित होते ही हैं, इनके अतिरिक्त वर्ण्य विषय इतने विस्तृत हैं कि अग्निपुराणको 'विश्वकोष' कहा जाता है।

 

 

प्राचीन-काल में न तो मुद्रण की प्रथा थी और न ग्रन्थ ही सहज सुलभ होते थे। ऐसी परिस्थिति में विविध विषयों के महत्त्वपूर्ण विवेचन का एक ही स्थान पर एक साथ मिल जाना, यह एक बहुत बड़ी बात थी। इसी कारण अग्निपुराण बहुत जनप्रिय और विद्वद्वर्ग समादृत रहा।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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