आनंदमठ हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Anandmath Hindi Book
इस पुस्तक का नाम है: आनंदमठ | इस ग्रन्थ के रचनाकार हैं: बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 1 MB हैं | पुस्तक में कुल 78 पृष्ठ हैं |Name of the book is : Anandmath. The book is authored by: Bankimchandra Chattopadhyaya. Approximate size of the PDF file of this book is : 1 MB. This book has a total of 78 pages.
पुस्तक के लेखक | पुस्तक की श्रेणी | पुस्तक का साइज | कुल पृष्ठ |
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बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय | साहित्य, उपन्यास | 1 MB | 78 |
पुस्तक से :
सन्यासी आंदोलन और बंगाल अकाल की पृष्ठभूमि पर लिखी गयी बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय की कालजयी कृति 'आनंदमठ' सन 1882 में छपकर आई. इस उपन्यास की क्रांतिकारी विचारधारा ने सामाजिक व राजनीतिक चेतना को जागृत करने का काम किया. इसी उपन्यास के एक गीत 'वन्दे मातरम' को बाद में राष्ट्रगीत का दर्जा प्राप्त हुआ.
बंगाल में घर-घर कोहराम मच गया. पहले लोगों ने भीख मांगना शुरू किया, इसके बाद कौन भिक्षा देता है? उपवास शुरू हो गया. फिर जनता रोगाक्रान्त होने लगी. गो-बैल, हल बेचे गये, बीज के लिए संचित अन्न खा गये, घर-बार बेचा, खेती-बारी बेची. इसके बाद लोगोंने लड़कियां बेचना शुरू किया, फिर लड़के बेचे जाने लगे, इसके बाद गृहलक्ष्मियोंका विक्रय प्रारम्भ हुआ.
लेकिन इसके बाद लड़की-लड़के,औरते कौन खरीदता? बेचना सब चाहते थे पर खरीददार कोई नहीं. खाद्य के अभाव में लोग पेड़ों के पत्ते खाने लगे, घास खाना शुरू किया, नरम टहनियाँ खाने लगे. छोटीजाति की जनता व जंगली लोग, कुत्ते, बिल्ली और चूहें खाने लगे. बहुतेरे लोग भागे, वे विदेश में जाकर अनाहार से मरे. जो नहीं भागे वे अखाद्य खाकर, उपवास और रोग से जर्ज़र हो मरने लगे.
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