असली प्राचीन रावण संहिता हिन्दी ग्रन्थ के बारे में अधिक जानकारी | More details about Asli Prachin Ravan Samhita Hindi Book
इस पुस्तक का नाम है: असली प्राचीन रावण संहिता | इस पुस्तक के लेखक/सम्पादक हैं : पंडित किसन लाल शर्मा | पुस्तक का प्रकाशन मनोज पब्लिकेशन्स, दिल्ली ने किया है. इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 11 MB हैं | पुस्तक में कुल 734 पृष्ठ हैं |
Name of the book is : Asli Prachin Ravan Samhita. This book is written by: Pandit Kisan Lal Sharma. The book has been published by Manoj Publications, Delhi. Approximate size of the PDF file of this book is 11 MB. This book has 734 pages.
पुस्तक के लेखक | पुस्तक की श्रेणी | पुस्तक का साइज | कुल पृष्ठ |
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पं. किसन लाल शर्मा | मंत्र-साधना | 11 MB | 734 |
पुस्तक से :
वह परम विद्वान था. ज्ञाता था अंग-उपांगों सहित चारोंवेदों का। फिर भी दुष्कर्मों में प्रवृत्त हुआ। अभिमान ने भटका दिया उसे या फिर जब विजय की मूर्च्छा टूटी तब तक काफी आगे बढ़ चुका था वह - पीछे जाना असंभव था। श्रीरामके हाथों मृत्यु को वरण किया- यह समझदारी थी उसकी। शस्त्र-शास्त्र ज्ञाता लंकाधिपति रावण के जीवन में उतार-चढ़ाव की अनूठी गाथा है इस ग्रंथ में।
अपनी गलतियों को जानते हुए भी उन्हें अस्वीकारना रावणकी विवशता थी— देवताओंसे समझौता उस जातिके हित और सम्मान की रक्षा नहीं करता था, जिसमें उसका जन्म हुआ था, जिसके विजय अभियान का नेतृत्व उसके हाथोंमें था। योद्धा को भी तो योगी की गति प्राप्त होती है।
कुछ समय के पश्चात् सुमाली रसातलसे निकलकर विचरण करने हेतु पृथ्वी पर आया। वह नील-वर्ण के मेघ के समान स्वर्ण कुण्डलों को धारण किए सुशोभित हो रहा था। उसकी पुत्री भी उसके साथ कमल-रहित लक्ष्मीके समान सुशोभित हो रही थी। पृथ्वी पर विचरण करते हुए उसने कुबेरको अपने पुष्पक विमानमें जाते हुए देखा।
(नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)
डाउनलोड लिंक :
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