भगवत-प्राप्ति कठिन नहीं (गीता प्रेस) हिन्दी पुस्तक | Bhagavata-Prapti Kathin Nahin (Gita-Press) Hindi PDF

 Bhagavata-Prapti-Kathin-Nahin-Gita-Press-Hindi-PDF


भगवत-प्राप्ति कठिन नहीं हिन्दी ग्रन्थ के बारे में अधिक जानकारी | More details about Bhagavata-Prapti Kathin Nahin Hindi Book

इस पुस्तक का नाम है: भगवत-प्राप्ति कठिन नहीं | इस पुस्तक के लेखक हैं : पूज्यश्री जयदयाल गोयन्दका जी | पुस्तक का प्रकाशन किया है : गीता प्रेस, गोरखपुर | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 37 MB हैं | पुस्तक में कुल 132 पृष्ठ हैं |

Name of the book is : Bhagavata-Prapti Kathin Nahin. This book is written by: Pujyashri Jayadayal Goyandka ji. The book is published by: Gita-Press, Gorakhpur. Approximate size of the PDF file of this book is 37 MB. This book has a total of 132 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
पूज्यश्री जयदयाल गोयन्दका जीभक्ति, धर्म37 MB132



पुस्तक से : 

जैसे किसी पर फाँसीका मुकदमा लग जाय तो वह उससे छूटने के लिये कितनी चेष्टा करता है। कितनी खुशामद करता है, हर समय वकीलों से कानूनकी पुस्तकें दिखानेकी चेष्टा करता है। ऐसे ही हमको संसारसे मुक्त होनेके लिये चेष्टा करनी चाहिये। हमलोगोंपर भी यमराजका मामला लगा हुआ है। इसकी पैरवी करनी चाहिये।

 

गीताके तत्त्वको जाननेमात्रसे मुक्ति हो जाती है। जानना उसे कहते हैं- जैसे सत्य बोलना चाहिये। यह सुनकर हम झूठ न बोलें तो समझना चाहिये कि हम इस बातको जान गये. हमने सुना कि दूधमें जहर है। इस बातका हमको विश्वास हुआ तभी माना जायगा जब हम दूध न पीयें। पीते हैं तो हमारा उसमें विश्वास नहीं है।

 

 

सबसे बढ़कर महत्त्वपूर्ण बात यह है कि सबसे बहुत उत्तम बर्ताव होना चाहिये। सबके साथ सेवाभाव होना चाहिये यानि दूसरे को आराम पहुँचाना चाहिये। हमलोगों में सेवा-भाव बहुत कम है। सेवा ही असली धन है, इसकी हमलोगों में बहुत कमी है।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


डाउनलोड लिंक :

"भगवत-प्राप्ति कठिन नहीं" हिन्दी पुस्तकको सीधे एक क्लिक में मुफ्त डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए गए डाउनलोड बटन पर क्लिक करें |

To download "Bhagavata-Prapti Kathin Nahin" Hindi book in just single click for free, simply click on the download button provided below.


Download PDF (37 MB)


If you like this book we recommend you to buy it from the original publisher/owner. Thank you.