भ्रमर गीत हिन्दी ग्रन्थ के बारे में अधिक जानकारी | More details about Bhramar Geet Hindi Book
इस पुस्तक का नाम है: भ्रमर गीत | इस पुस्तक के लेखक हैं : अनंतश्री स्वामी करपात्रीजी महाराज, श्रीमती पद्मावती झूनझुनवाला (संकलनकर्ता) | पुस्तक का प्रकाशन किया है : विश्वविद्यालय प्रकाशन, वाराणसी | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 8 MB हैं | पुस्तक में कुल 194 पृष्ठ हैं |
Name of the book is : Bhramar Geet. This book is written by: Anantshri Swami Karpatriji Maharaj, Shrimati Padmavati Jhunjhunwala. The book is published by: Vishvavidalaya Prakashan, Varanasi. Approximate size of the PDF file of this book is 8 MB. This book has a total of 194 pages.
पुस्तक के लेखक | पुस्तक की श्रेणी | पुस्तक का साइज | कुल पृष्ठ |
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स्वामी करपात्रीजी महाराज | धर्म,भक्ति | 8 MB | 194 |
पुस्तक से :
'श्रीमद्भागवत' के दशम स्कन्ध के अन्तर्गत चार गीत उपलब्ध होते हैं- 'वेणु गौत', 'गोपी-गीत', 'युगल-गीत' और 'भ्रमर-गीत'। ये गीत अत्यन्त भावपूर्ण हैं। इनके श्रवण, अध्ययन एवं मनन से अन्तःकरण की शुद्धि होती है, साथ ही भगवत्-चरणारविन्दों में दृढ़ प्रीतिका उदय होता है।
प्रमाण भी अनेक प्रकारका होता है। पहला प्रमाण प्रत्यक्ष प्रमाण है; यह प्रत्यक्ष प्रमाण भी 6 प्रकार का होता है; पाँच ज्ञानेन्द्रियों से होने वाले पाँच प्रकार के ज्ञान तथा मनसे होने वाला छठा ज्ञान, इन छह प्रकार के ज्ञान तथा इनके करण छह प्रमाणों को चार्वाक भी स्वीकार करते हैं। दूसरा प्रमाण अनुमान प्रमाण है। केवल प्रत्यक्ष प्रमाणसे सम्पूर्ण का बोध सम्भव नहीं।
अनन्त ब्रह्माण्ड का उत्पादन, पालन, संहरण जिससे होता है वह सर्व कारण, सर्वाधिष्ठान, सर्वपालक ही आश्रय-तत्त्व है। इस आश्रय-तत्त्व की विशुद्धि के लिए ही नौ का लक्षण किया जाता है। 'मुक्तोपसृप्य' मुक्तोंका प्राप्य तत्त्व ही आश्रय तत्त्व है। दशम स्कन्ध में आश्रम तत्त्व का ही वर्णन है, 'दशमे दशमो हरिः' दशम स्कन्धमें दशम अर्थात् मुक्तिके आश्रय रूप हरि का ही वर्णन है.
(नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)
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