श्री दुर्गा सप्तशती (गीता प्रेस) ग्रन्थ | Durga Saptshati (Gita-Press) Book PDF

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श्री दुर्गा सप्तशती (गीता प्रेस) हिन्दी ग्रन्थ के बारे में अधिक जानकारी | More details about Shri Durga Saptshati (Gita-Press) Hindi Book


इस ग्रन्थ का नाम है: श्री दुर्गा सप्तशती | इस ग्रन्थ के संपादक हैं : श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार, पं. श्री रामनारायणदत्तजी शास्त्री | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : गीता प्रेस, गोरखपुर | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 1 MB हैं| पुस्तक में कुल 240 पृष्ठ हैं |


Name of this book is: Shri Durga Saptshati | Editor of this Grantha is : Shri Hanuman Prasad Poddar, Pt. Shri Ramnarayanduttji Shastri | This book is published by : Gita Press, Gorakhpur | Approximate size of the PDF file of this book is: 1 MB. This book has a total of 240 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
श्री हनुमानप्रसाद पोद्दारभक्ति, धर्म,1 MB240


पुस्तक से :

सप्तशती के पाठमें विधिका ध्यान रखना तो उत्तम है ही, उसमें भी सबसे उत्तम बात है भगवती दुर्गा माता के चरणोंमें प्रेमपूर्ण भक्ति श्रद्धा और भक्ति के साथ जगदम्बा के स्मरणपूर्वक सप्तशतीका पाठ करनेवालेको उनकी कृपाका शीघ्र अनुभव हो सकता है।

 

स्पष्ट रूप से कहा है कि जिसे एक ही दिनमें पूरे पाठ का अवसर न मिले, वह एक दिन केवल मध्यम चरित्र का और दूसरे दिन शेष दो चरित्रोंका पाठ करें। इसके सिवा, जो प्रतिदिन नियमपूर्वक पाठ करते हैं, उनके लिये एक दिन में एक पाठ न हो सकनेपर एक दो, एक, चार, दो, एक और दो अध्यायोंके क्रमसे सात दिनों में पाठ पूरा करने का आदेश दिया गया है। ऐसी दशामें प्रतिदिन शापोद्धार और कीलक कैसे सम्भव है। अस्तु, जो हो, हमने यहाँ जिज्ञासुओं के लाभार्थ शापोद्धार और उत्कीलन दोनोंके विधान दे दिये हैं.

 

इसमें पाठ करने की विधि स्पष्ट, सरल और प्रामाणिक रूप में दी गयी है। इसके मूल पाठ को विशेषतः शुद्ध रखने का प्रयास किया गया है । आजकल प्रेसों में छपी हुई अधिकांश पुस्तकें अशुद्ध निकलती हैं, किंतु प्रस्तुत पुस्तक को इस दोष से बचाने की यथासाध्य चेष्टा की गयी है। पाठकों की सुविधा के लिये कहीं-कहीं महत्त्वपूर्ण पाठान्तर भी दे दिये गये हैं। शापोद्धार के अनेक प्रकार बतलाये गये हैं। कवच, अर्गला और कीलक के भी अर्थ दिये गये हैं।

 


 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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