कल्याण शिवोपासना अंक (गीता प्रेस) पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Kalyan Shiv Upasana Anka (Gita-Press) Book
इस पुस्तक का नाम है : कल्याण शिवोपासना अंक | इस पुस्तक के लेखक/प्रकाशक हैं : गीता प्रेस | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 1.5 GB हैं | पुस्तक में कुल 472 पृष्ठ हैं |Name of the book is : Kalyan Shiv Upasana Anka | This book is written/published by : Gita Press | Approximate size of the PDF file of this book is : 1.5 GB. This book has a total of 472 pages.
पुस्तक के लेखक | पुस्तक की श्रेणी | पुस्तक का साइज | कुल पृष्ठ |
---|---|---|---|
गीता प्रेस | भक्ति, धर्म | 1.5 GB | 472 |
पुस्तक से :
जो अपनी स्वरूपभूत विविध शासन शक्तियों द्वारा इन सब लोकों पर शासन करता है, वह रुद्र एक ही है, इसीलिये विद्वान् पुरुषोंने (जगत्के कारण का निश्चय करते समय) दूसरे का आश्रय नहीं लिया, (वह परमात्मा) समस्त जीवों के भीतर स्थित हो रहा है। सम्पूर्ण लोकोंकी रचना करके उनकी रक्षा करनेवाला परमेश्वर प्रलयकाल में इन सबको समेट लेता है।
माया तो प्रकृति को समझना चाहिये और मायापति महेश्वरको समझना चाहिये, उसीके अङ्गभूत कारण-कार्य- समुदाय से यह सम्पूर्ण जगत् व्याप्त हो रहा है ।
जो रंग, रूप आदि से रहित होकर भी छिपे हुए प्रयोजन वाला होनेके कारण, विविध शक्तियों के सम्बन्ध सृष्टि के आदिमें अनेक रूप-रंग धारण कर लेता है तथा अन्तमें यह सम्पूर्ण विश्व जिसमें विलीन भी हो जाता है, वह परमदेव (परमात्मा) एक (अद्वितीय) है, वह हमलोगों को शुभ बुद्धि से संयुक्त करे।
(नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)
डाउनलोड लिंक :
"कल्याण शिवोपासना अंक (गीता प्रेस) पुस्तक" को सीधे एक क्लिक में मुफ्त डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए गए डाउनलोड बटन पर क्लिक करें |To download "Kalyan Shiv Upasana Anka (Gita-Press) book" in just single click for free, simply click on the download button provided below |
Download PDF (1.5 GB)
If you like this book we recommend you to buy it from the original publisher/owner. Thank you.
गीता प्रेस श्रेणी की अन्य पुस्तकों को पढ़ने और डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें |
गीता प्रेस