कुमारसंभव (कालिदास) हिन्दी पुस्तक पीडीएफ | Kumarsambhav (Kalidas) Hindi Book PDF

       

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(चित्र केवल प्रतीकात्मक)


कुमारसंभव (कालिदास) हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Kumarsambhav (Kalidas) Hindi Book

इस पुस्तक का नाम है : कुमारसंभव | इस ग्रन्थ के रचनाकार हैं: महाकवि कालिदास | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 1.5 MB हैं | पुस्तक में कुल 96 पृष्ठ हैं |

Name of the book is : Kumarsambhav  This book is written by : Kalidas. Approximate size of the PDF file of this book is : 1.5 MB. This book has a total of 96 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
कालिदास
साहित्य 1.5 MB96


पुस्तक से :

अनंत रत्नों की खान, इस हिमालय के सौंदर्य को विपुल हिमराशि भी नष्ट न कर सकी. गुणों के समूह में अकेला दोष चन्द्रमा की किरणों में कलंक की भांति ही छिप जाता है. इस हिमालय के शिखर अप्सराओं के विलास की प्रसाधन बनने वाली सिंदूर, गैरिक आदि धातुओं से रंगे रहते हैं जिन्हें देखकर मेघ-खंडों को नाना रंगों में रंग देने वाली असमय में आ गयी संध्या का भ्रम होने लगता है. 

 

यहाँ विद्याधर सुंदरियाँ गज-बिन्दु के समान लाल भोजतरू की छालों पर धातुओं के रस, गेरू, सिंदूर आदि से अक्षर बनाकर प्रेमपत्र लिखा करती हैं. 

 

यहाँ हाथियों द्वारा अपने कपोल-तल की खुजली मिटाने के लिए रगड़े गये देवदारु वृक्षों का दूध निकल जाने के कारण फैलता हुआ सौरभ पर्वत-शिखरों को सुगन्धित किये रखता है.

 

जहाँ-तहाँ चंवरी गायें, हिलने से शोभा बिखराने वाले तथा चंद्रकिरणों के समान धवल अपनी पूंछों के चंवर डुला-डुला कर इस हिमालय के गिरिराज नाम को सार्थक करती है.


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