मानव-धर्म (गीता प्रेस) हिन्दी पुस्तक | Manav-Dharm (Gita-Press) Book PDF

  

Manav-Dharm-Gita-Press-Hindi-Book-pdf

मानव-धर्म (गीता प्रेस) पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Manav-Dharm (Gita-Press) Book

इस पुस्तक का नाम है : मानव-धर्म | इस पुस्तक के लेखक/प्रकाशक हैं: गीता प्रेस | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 144 MB हैं | पुस्तक में कुल 100 पृष्ठ हैं |

Name of the book is : Manav-Dharm | This book is written/published by : Gita Press | Approximate size of the PDF file of this book is : 144 MB. This book has a total of 100 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
गीता प्रेसभक्ति, धर्म144 MB100


पुस्तक से :

धर्महीन मनुष्यको शास्त्रकारों ने पशु बतलाया है। धर्म शब्द 'धृ' धातुसे निकला है, जिसका अर्थ धारण करना या पालन करना होता है। जो संसारमें समस्त जीवों के कल्याण का कारण हो, उसे ही धर्म समझना चाहिये, इसी बातको लक्ष्यमें रखते हुए निर्मलात्मा त्रिकालज्ञ ऋषियों ने धर्म की व्यवस्था की है।

 

बुद्धिमान् लोग निन्दा करें या स्तुति करें, लक्ष्मीजी आवें या प्रसन्नतासे चली जायँ, मृत्यु आज ही हो जाय या युगान्तरमें हो, परंतु धैर्यवान् लोग न्यायके पथ से कभी विचलित नहीं होते। प्रायः प्रत्येक कार्य की सफलतामें धैर्य की आवश्यकता हुआ करती है। धैर्यवान् पुरुष बड़े से बड़े संकटको आसानीसे पार कर सुखी होते हैं। उन्हें सहजमें पापका स्पर्श नहीं होता। धैर्य की परीक्षा संकट कालमें और इच्छित वस्तुको प्राप्ति में विलम्ब होनेपर हुआ करती है। ऐसे समय जो लोग धैर्यको बचा सकते हैं, वे बड़ी-बड़ी पाप-वासनाओं को परास्त कर प्रायः इच्छित वस्तु की प्राप्ति कर सकते हैं।

 

 

पापी, अधर्मियों की शीघ्र ही बुरी गति होती है, ऐसा समझकर पुरुषको चाहिये कि धर्म से दुःख पाता हुआ भी अधर्म में मन न लगावे । जैसे पृथ्वी शीघ्र फल नहीं देती, वैसे ही संसारमें किया हुआ अधर्म भी तत्काल फल नहीं देता है, किंतु किया हुआ अधर्म करनेवालेको धीरे-धीरे जड़-मूल से नष्ट कर देता है।

(नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


डाउनलोड लिंक :

"मानव-धर्म (गीता प्रेस) पुस्तक" को सीधे एक क्लिक में मुफ्त डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए गए डाउनलोड बटन पर क्लिक करें |

To download "Manav-Dharm (Gita-Press) book" in just single click for free, simply click on the download button provided below |

Download PDF (144 MB)


If you like this book we recommend you to buy it from the original publisher/owner. Thank you.


गीता प्रेस श्रेणी की अन्य पुस्तकों को पढ़ने और डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें |

गीता प्रेस