मनुष्य-जीवन की सफलता (गीता प्रेस) हिन्दी पुस्तक | Manushya Jeevan ki Safalta (Gita-Press) Hindi PDF

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मनुष्य-जीवन की सफलता हिन्दी ग्रन्थ के बारे में अधिक जानकारी | More details about Manushya Jeevan ki Safalta Hindi Book

इस पुस्तक का नाम है: मनुष्य-जीवन की सफलता | इस पुस्तक के लेखक हैं : पूज्यश्री जयदयाल गोयन्दका जी | पुस्तक का प्रकाशन किया है : गीता प्रेस, गोरखपुर | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 115 MB हैं | पुस्तक में कुल 352 पृष्ठ हैं |

Name of the book is : Manushya Jeevan ki Safalta. This book is written by: Pujyashri Jayadayal Goyandka ji. The book is published by: Gita-Press, Gorakhpur. Approximate size of the PDF file of this book is 115 MB. This book has a total of 352 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
पूज्यश्री जयदयाल गोयन्दका जीधर्म, भक्ति115 MB352



पुस्तक से : 

कोई भी शुभकर्म हो, यदि निष्कामभाव से किया जाय तो उससे तुरंत मुक्ति हो जाती है। कर्मोंके फलका, उन कर्मोंकी और विषयोंकी आसक्तिका एवं अभिमानका त्याग करके समतापूर्वक शास्त्र - विहित सम्पूर्ण कर्मोंके करनेका नाम ही कर्मयोग है।

 

"सब प्राणी सुखी हों, सब नीरोग हों, सभी कल्याणका अनुभव करें, कोई भी दुःखका भागी न बने।" यदि सबके कल्याण की बात असम्भव होती तो ऐसे वाक्य क्योंकर कहे जाते।

 

 

नारदपुराणके पूर्वभाग के 7वें अध्याय में गङ्गावतरणके प्रसङ्ग में श्रीसनकजीने सूर्यवंशीय राजा बाहुका एक विचित्र चमत्कारपूर्ण इतिहास कहा है। उसमें अध्यात्मशिक्षा के साथ ही सत्सङ्गका भी बड़ा सुन्दर प्रकरण है । इस प्रसङ्ग में सत्पुरुषोंकी जैसी अतुलनीय महिमा मिलती है, वैसी अन्यत्र कहीं नहीं देखी गयी । यह प्रसङ्ग सबके लिये ध्यान देने योग्य है ।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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