रंगभूमि (प्रेमचंद) हिन्दी पुस्तक पीडीएफ | Rangbhoomi (Premchand) Hindi Book PDF

              

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(चित्र केवल प्रतीकात्मक)



रंगभूमि (प्रेमचंद) पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Rangbhoomi (Premchand) Book

इस पुस्तक का नाम है : रंगभूमि | इस पुस्तक के लेखक हैं : मुंशी प्रेमचंद | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं :प्रभात प्रकाशन, दिल्ली. इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 5 MB हैं | पुस्तक में कुल 427 पृष्ठ हैं |

Name of the book is : Rangbhoomi . The book is authored by: Munshi-Premchand. This book is published by Prabhat Prakashan, Delhi. Approximate size of the PDF file of this book is : 5 MB. This book has a total of 427 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
मुंशी प्रेमचंदसाहित्य, उपन्यास 5 MB427


पुस्तक से:

शहर अमीरों के रहने और क्रय-विक्रय का स्थान है. उसके बाहर की भूमि उनके मनोरंजन और विनोद की जगह है. उसके मध्य भाग में उनके लड़कों की पाठशालाएं और उनके मुक़दमेबाजी के अखाड़े होते हैं, जहाँ न्याय के बहाने गरीबों का गला घोंटा जाता है. शहर के आस पास गरीबों की बस्तियां होती हैं.

 

बनारस में पांडेपुर ऐसी ही एक बस्ती है. वहां न शहरी दीपकों की ज्योति पहुँचती है, न शहरी छिड़काव के छींटे, न शहरी जल श्रोतों का प्रवाह. सड़क के किनारे छोटे-छोटे बनियों और हलवाइयों की दुकानें हैं और उनके पीछे इक्के वाले, गाड़ीवान, ग्वाले और मजदूर रहते हैं. दो चार घर बिगड़े सफेदपोशो के भी हैं जिन्हें उनकी हीनावस्था ने शहर से निर्वासित कर दिया है.


इन्हीं में एक गरीब और अंधा चमार रहता है जिसे लोग सूरदास कहते हैं. भारतवर्ष में अंधे आदमियों के लिए न नाम की जरूरत होती है, न काम की. सूरदास उनका बना-बनाया नाम है और भीख मांगना बना-बनाया काम है. उनके गुण और स्वाभाव भी जगत प्रसिद्ध है - गाने बजाने में विशेष रूचि, हृदय में विशेष अनुराग, अध्यात्म और भक्ति में विशेष प्रेम- उनके स्वाभाविक लक्षण हैं. बाह्य दृष्टि बंद और अंतर्दृष्टि खुली हुई.


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