विवाह पद्धति हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Vivah Paddhati Hindi Book
इस पुस्तक का नाम है : विवाह पद्धति | इस पुस्तक के लेखक हैं : पंडित ज्ञानचंद्र | पुस्तक के प्रकाशक हैं : अज्ञात | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 41 MB हैं | इस पुस्तक में 96 पृष्ठ हैं |
Name of the book is : Vivah Paddhati. This book is written by : Pandit Gyanchandra. The book is published by : Unknown. Approximate size of the PDF file of this book is 41 MB. This book has 96 pages.
पुस्तक के संपादक | पुस्तक की श्रेणी | पुस्तक का साइज | कुल पृष्ठ |
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पंडित ज्ञानचंद्र | धार्मिक, अध्यात्म | 41 MB | 96 |
पुस्तक के बारे में :
घर के आंगन में लड़की के सोलह हाथ ज़मीन मापकर चौकोन बनाए यानी ( चार हाथ लम्बा और चार हाथ चौड़ा) उस मण्डप मण्डप के दक्षिण की तरफ पश्चिम में, यानी नैऋत्य कोण में मण्डप के साथ उत्तर की तरफ है मुख जिसका ऐसा कौतुकागार बनावे।
मंडप से बाहर ईशान कोण में यानी (पूर्व और उत्तर के मध्य की कोण में) वर के चार हाथ के बराबर जमीन मापकर (यानी एक हाथ लम्बी और एक हाथ चौड़ी) साफ रेत की बनी हुई, तिनके, बाल और कंकरों से रहित, लाठियों से बनी हुई, ग्राम के पत्तों से सजी हुई और सुन्दर वस्त्र के चंदोये से ढकी हुई वेदी को बनाए ।
मैं लक्ष्मीनारायणकी प्रसन्नता से यावज्जीवन पत्नी के साथ आयु, आरोग्य, सम्पत्ति, समृद्धि के लिए परमसुख प्राप्ति के लिए धर्म अर्थ काम की सिद्धि के लिए विवाह संस्कार से अपना विवाह कर्म करता हूँ और निर्विघ्न समाप्ति की इच्छा से गणपत्यादियों का यथाप्राप्त उपचारों से पूजन करता हूँ ।
यं शैवाः समुपासते शिव इति ब्रह्म ति वेदान्तिनो बौद्धा बुद्ध इति प्रामाणपटवः कर्तेति नैयायिकाः अर्हन्नित्यथ जैनशासनरताः कर्मेति मीमांसकाः सोऽयं वो विदधातु वांछित फलं त्रैलोक्यनाथो हरिः| यस्यालीयत शल्कसीग्नि जलधिः पृष्ठ जगन्मण्डलं दंष्ट्राय धरणी, नखे दितिसुताधीशः पदे रोदसी ॥ क्रोधे चत्रगणः शरे दशमुखः पाणौ प्रलम्बासुरः। घ्याने विश्वमसावधार्मिककुलं कस्मैचिदस्मै नमः॥
(नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)
डाउनलोड लिंक :
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