रेती के फूल (रामधारी सिंह दिनकर) हिन्दी पुस्तक पीडीएफ | Reti ke Phool (Ramdhari Singh Dinkar) Hindi Book PDF

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रेती के फूल (रामधारी सिंह दिनकर) हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Reti ke Phool (Ramdhari Singh Dinkar) Hindi Book

इस पुस्तक का नाम है : रेती के फूल | इस ग्रन्थ के रचनाकार हैं : रामधारी सिंह दिनकर | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 7 MB हैं | पुस्तक में कुल 148 पृष्ठ हैं |


Name of the book is : Reti ke Phool. The book is authored by: Ramdhari Singh Dinkar. Approximate size of the PDF file of this book is : 7 MB. This book has a total of 148 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
रामधारी सिंह दिनकर साहित्य 7 MB148

पुस्तक से :

जिंदगी के असली मजे उनके लिए नहीं है जो फूलों की छाह के नीचे खेलते और सोते हैं. बल्कि फूलों की छाह के नीचे अगर जीवन का कोई स्वाद ल छिपा है, तो वह भी उन्हीं के लिए है जो दूर रेगिस्तान से आ रहे हैं, जिनका कंठ सूखा हुआ, ओठ फटे और सारा बदन पसीनों से तर है. पानी में जो अमृत वाला तत्व है, उसे वही जानता है जो धूप में खूब सूख चुका है ; वह नहीं जो रेगिस्तान में कभी पड़ा ही नहीं.


चांदनी की ताज़गी और शीतलता का आंनद वह मनुष्य लेता है जो दिन भर धूप में खटकर लौटा है; जिसके शरीर को अब तरलाई की जरूरत महसूस होती है और जिसका मन यह जानकर संतुष्ट है कि दिनभर का समय उसने किसी अच्छे काम में लगाया है.

 


हम रेती के फूल, कहो कैसे जीते हैं? जड़ में है जो धूल, आग है, चिनगारी है । सूख रहा हूँ मूल, ताप रवि का भारी हूं । सिकताओं का देश, चमकता जो, मृगजल है। नहीं मृत्ति का लेश, कहो, कैसे जीते है।  


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