संक्षिप्त भविष्य पुराण (गीता प्रेस) हिन्दी ग्रन्थ | Sankshipt Bhavishya Puran (Gita-Press) Hindi Book PDF

 

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संक्षिप्त भविष्य-पुराण (गीता प्रेस) हिन्दी ग्रन्थ के बारे में अधिक जानकारी | More details about Sankshipt Bhavishya-Puran (Gita-Press) Hindi Book

इस पुस्तक का नाम है : संक्षिप्त भविष्य-पुराण | इस पुस्तक के लेखक/प्रकाशक हैं : गीता प्रेस, गोरखपुर | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 1.4 GB हैं | पुस्तक में कुल 654 पृष्ठ हैं |

Name of the book is : Sankshipt Bhavishya-Puran | This book is written/published by : Gita Press | Approximate size of the PDF file of this book is : 1.4 GB. This book has a total of 654 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
गीता प्रेसभक्ति, धर्म, पुराण1.4 GB654


पुस्तक से :

पिताकी भक्तिसे इहलोक, माताकी भक्तिसे मध्यलोक और गुरुकी सेवा से इन्द्रलोक प्राप्त होता है जो इन तीनों की सेवा करता है, उसके सभी धर्म सफल हो जाते हैं और जो इनका आदर नहीं करता, उसकी सभी क्रियाएँ निष्फल होती हैं। जबतक ये तीनों जीवित रहते हैं, तबतक इनकी नित्य सेवा शुश्रूषा और इनका हित करना चाहिये। इन तीनोंकी सेवा शुश्रूषा-रूपी धर्ममें पुरुषका सम्पूर्ण कर्तव्य पूरा हो जाता है, यही साक्षात् धर्म है, अन्य सभी उपधर्म कहे गये हैं।

 

कालिवर्माका पुत्र कौशिक, उसका पुत्र कात्यायन, उसका पुत्र हेमवत, हेमवतका पुत्र शिववर्मा, शिववर्माका पुत्र भववर्मा और भववर्माका पुत्र रुद्रवर्मा हुआ। इन्होंने भी अपने-अपने पिता के समान राज्य किया। रुद्रवर्माका पुत्र भोजवर्मा हुआ भोजवर्माने अपने पिताका राज्य त्यागकर वनप्रदेशमें भोजराष्ट्र का निर्माण किया। भोजवर्मा का पुत्र गववर्मा हुआ और उसका पुत्र विंध्यवर्मा राजा हुआ विंध्यवर्मा अपने छोटे भाईको राज्य सौंपकर वंग (बंगाल)- देश चला गया। विंध्यवर्मा का पुत्र सुखसेन, उसका पुत्र बलाक हुआ। बलाक ने दस वर्षतक राज्य किया और उसका पुत्र लक्ष्मण (सेन), उसका पुत्र माधव, उसका पुत्र वेशव और वेशव का पुत्र सुरसेन हुआ। सुरसेन का पुत्र नारायण और नारायण का पुत्र शान्तिवर्मा हुआ. 

 

 

पूर्वजन्ममें किये गये पुण्योंसे ही इस जन्ममें प्रभूत धनकी प्राप्ति होती है और धन से पुण्य होता है। इसलिये धन और पुण्यका अन्योन्याश्रय सम्बन्ध है अर्थात् ये एक-दूसरेके कारक हैं। पुण्य से धनार्जन होता है और धनसे पुण्यार्जन होता है.

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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