संक्षिप्त ब्रह्म पुराण (गीता प्रेस) हिन्दी ग्रन्थ | Sankshipt Brahma Puran (Gita-Press) Hindi Book PDF

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संक्षिप्त ब्रह्म-पुराण (गीता प्रेस) हिन्दी ग्रन्थ के बारे में अधिक जानकारी | More details about Sankshipt Brahma-Puran (Gita-Press) Hindi Book

इस पुस्तक का नाम है : संक्षिप्त ब्रह्म-पुराण | इस पुस्तक के लेखक/प्रकाशक हैं: गीता प्रेस, गोरखपुर | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 1 GB हैं | पुस्तक में कुल 440 पृष्ठ हैं |

Name of the book is : Sankshipt Brahma-Puran | This book is written/published by : Gita Press | Approximate size of the PDF file of this book is : 1 GB. This book has a total of 440 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
गीता प्रेसभक्ति, धर्म, पुराण1 GB440


पुस्तक से :

अधिकांश भूमि ऊसर हो जायगी सभी मार्ग बटमारोंसे घिरे होंगे। सभी वर्णोंके लोग वाणिज्य वृत्तिवाले होंगे। पिताके धनको उनके दिये बिना ही लड़के आपसमें बाँट लेंगे, उसे हड़प लेनेकी चेष्टा करेंगे और लोभ आदि कारणोंसे वे परस्पर विरोधी बने रहेंगे। सुकुमारता, रूप और रक्तका नाश हो जानेसे नारियाँ बालों से ही सुसज्जित होंगी।

 

इस प्रकार जन्मके समय उसे अनेक दुःख उठाने पड़ते हैं। जन्मके बाद भी वह बाल्यावस्था में आधिभौतिक आदि अनेक दुःखोंका भागी होता है। अज्ञानान्धकारसे आच्छादित मूढ़ अन्तःकरणवाला मनुष्य यह नहीं जानता कि 'मैं कहाँसे आया हूँ? कौन हूँ? कहाँ जाऊँगा ? क्या मेरा स्वरूप है ? मैं किस बन्धन से बँधा हुआ हूँ? क्या इस बन्धनका कुछ कारण भी है या यह अकारण ही प्राप्त हुआ है? मुझे क्या करना चाहिये ? और क्या नहीं करना चाहिये ? मेरे लिये क्या कहना और क्या न कहना उचित है?

 

 

काल सम्पूर्ण प्राणियोंको पकाता (नष्ट करता) है; किंतु जहाँ काल भी पकाया जाता है जो कालका भी काल है, उस आत्माको कोई नहीं जानता।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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