संक्षिप्त ब्रह्मवैवर्त पुराण (गीता प्रेस) हिन्दी ग्रन्थ | Sankshipt Brahma Vaivarta Puran (Gita-Press) Hindi Book PDF

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संक्षिप्त ब्रह्मवैवर्त पुराण (गीता प्रेस) हिन्दी ग्रन्थ के बारे में अधिक जानकारी | More details about Sankshipt Brahma-Vaivarta-Puran (Gita-Press) Hindi Book

इस पुस्तक का नाम है : संक्षिप्त ब्रह्मवैवर्तत पुराण | इस पुस्तक के लेखक/प्रकाशक हैं : गीता प्रेस, गोरखपुर | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 1.8 GB हैं | पुस्तक में कुल 814 पृष्ठ हैं |

Name of the book is : Sankshipt Brahma-Vaivarta-Puran. This book is written/published by : Gita Press | Approximate size of the PDF file of this book is : 1.8 GB. This book has a total of 814 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
गीता प्रेसभक्ति, धर्म, पुराण1.8 GB814


पुस्तक से :

हे भोले-भाले मनुष्यो! व्यासदेवने श्रुतिगणों को बछड़ा बनाकर भारतीरूपिणी कामधेनुसे जो अपूर्व, अमृतसे भी उत्तम, अक्षय, प्रिय एवं मधुर दूध दुहा था, वही यह अत्यन्त सुन्दर ब्रह्मवैवर्तपुराण है। तुम अपने श्रवणपुटोंद्वारा इसका पान करो, पान करो।

 

भोजनके बाद तुरंत स्नान करना, बिना प्यासके जल पीना, सारे शरीरमें तिलका तेल मलना, स्निग्ध तैल तथा स्निग्ध आँवलेके द्रवका सेवन, बासी अत्रका भोजन, तक्रपान, केलेका पका हुआ फल, दही, वर्षा का जल, शक्करका शर्बत अत्यन्त चिकनाई से युक्त जलका सेवन, नारियलका जल, बासी पानी से रूखा स्नान (बिना तेल लगाये नहाना), तरबूज के पके फल खाना, ककड़ीके अधिक पके हुए फलका सेवन करना, वर्षा ऋतु तालाबमें नहाना और मूली खाना— इन सबसे कफ की वृद्धि होती है। वह कफ ब्रह्मरन्ध्रमें उत्पन्न होता है, जो महान् वीर्यनाशक माना गया है।

 

 

अंशुमान्‌के पुत्र भगीरथ थे। भगीरथ भगवान्के परम भक्त विद्वान् श्रीहरिमें अटूट श्रद्धा रखनेवाले, गुणवान् तथा वैष्णव पुरुष थे। गङ्गाको ले आनेका निश्चय करके उन्होंने बहुत समयत क तपस्या की।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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