सेवासदन (मुंशी प्रेमचंद) हिन्दी पुस्तक पीडीएफ | Sevasadan (Premchand) Hindi Book PDF

       

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(चित्र केवल प्रतीकात्मक)




सेवासदन (मुंशी प्रेमचंद) हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Sevasadan (Premchand) Hindi Book

इस पुस्तक का नाम है : सेवासदन | इस ग्रन्थ के रचनाकार हैं : मुंशी प्रेमचंद | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 12 MB हैं | पुस्तक में कुल 300 पृष्ठ हैं | पुस्तक का प्रकाशन 'हंस प्रकाशन' ने किया है.

Name of the book is : Sevasadan. This book is written by : Munshi Premchand. Approximate size of the PDF file of this book is: 12 MB. This book has a total of 300 pages. This book has been published by Hans Prakashan.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
मुंशी प्रेमचंदसाहित्यउपन्यास 12 MB300


पुस्तक से :

पश्चाताप के कड़वे फल कभी न कभी सभी को चखने पड़ते हैं लेकिन और लोग बुराइयों पर पछताते हैं, दरोगा कृष्णचंद्र अपनी भलाइयों पर पछता रहे थे. उन्हें थानेदारी करते हुए 25 वर्ष हो गये लेकिन उन्होंने अपनी नियत को कभी बिगड़ने न दिया था. यौवन काल में भी, ज़ब चित्त भोग-विलास के लिए व्याकुल रहता है उन्होंने निस्पृह भाव से अपना कर्तव्य पालन किया था. लेकिन इतने दिनों के बाद वह अपनी सरलता और विवेक पर हाथ मल रहे थे.उनकी पत्नी गंगाजली सती साध्वी स्त्री थी.

 

गंगाजली पुराने विचारों के अनुसार लड़कियों के ऋण से शीघ्र ही मुक्त होना चाहती थी. पर दरोगाजी कहते, अभी यह विवाह योग्य नहीं है. शास्त्रों में लिखा है कि कन्या का विवाह 16 वर्ष की आयु से पहले करना पाप है. इस प्रकार वह मन को समझा कर टालते रहते थे. समाचारपत्रों में ज़ब वह दहेज के विरोध में बड़े बड़े लेख पढ़ते तो बहुत प्रसन्न होते. गंगाजली से कहते कि अब एक ही दो साल में यह कुरीति मिटी जाती है. चिंता करने की कोई जरुरत नहीं. यहाँ तक की कि इसी तरह सुमन को 16वां वर्ष लग गया.



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