स्वप्न-विद्या हिन्दी ग्रन्थ के बारे में अधिक जानकारी | More details about Svapn-Vidya Hindi Book
इस पुस्तक का नाम है: स्वप्न-विद्या | इस पुस्तक के लेखक/सम्पादक हैं : डॉ कामेश्वर उपाध्याय | पुस्तक का प्रकाशन त्रिस्कन्धज्योतिषम प्रकाशन, वाराणसी ने किया है. इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का टोटल साइज लगभग 68 MB हैं | पुस्तक में कुल 134 पृष्ठ हैं |
Name of the book is : Svapn-Vidya. This book is written by: Dr. Kameshwar Upadhyay. The book has been published by Triskandha Jyotisham Publication, Varanasi. Approximate size of the PDF file of this book is: 68 MB. This book has a total of 134 pages.
पुस्तक के लेखक | पुस्तक की श्रेणी | पुस्तक का साइज | कुल पृष्ठ |
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डॉ कामेश्वर उपाध्याय | ज्योतिष, अध्यात्म | 68 MB | 134 |
पुस्तक से :
संस्कृत वाङ्मय में स्वप्न-विद्या को परा-विद्याका अंग माना गया है। अतः स्वप्नके माध्यम से सृष्टि के रहस्यों को जानने का प्रयास भारतीय ऋषि मुनि और आचार्योंने किया है। फलतः भारतीय मनीषियों की दृष्टिमें स्वप्न केवल जाग्रत दृश्यों का मानसलोक पर प्रभावका परिणाम मात्र नहीं है न तो कामज या इच्छित विकारों का प्रतिफलन मात्र है।
रज्जु में सर्प का भ्रम कहा जाए तो स्वप्न में भिखारी का राजा होना भी भ्रम मात्र ही है; परन्तु स्वप्नको आदेश मानकर राजा हरिश्चन्द्र द्वारा अपने राज्य का दान, स्वप्नमें अर्जुन द्वारा पाशुपतास्त्र की दीक्षा प्राप्ति आदि उदाहरण भी भारतीय संस्कृतिमें देखने को मिलते है । त्रिजटाने जो कुछ स्वप्न में देखा उसको अपूर्व प्रमाण मानकर श्रीहनुमानजी ने लंका दहन किया।
स्वप्न देखने के लिए चाक्षुष प्रत्यक्ष कारणोंका होना आवश्यक नहीं है। यह सत्य है कि स्वप्नमें उन्हीं वस्तुओं का दर्शन होता है जिन्हें हम जाग्रत अवस्थामें कभी-न-कभी देखे हुए होते है; परन्तु दुर्लभ ही सही पर वैसे भी स्वप्न आते हैं जिन्हें हम कभी पूर्व प्रत्यक्ष नहीं मान सकते उदाहरण के तौर पर अदृष्ट पूर्व भूमि, दूसरे लोक के दृश्य, आकाश गंगा आदि.
(नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)
डाउनलोड लिंक :
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