(चित्र केवल प्रतीकात्मक) |
विदुर नीति हिन्दी ग्रन्थ के बारे में अधिक जानकारी | More details about Vidur Niti Hindi Book
इस पुस्तक का नाम है: विदुर नीति | इस ग्रन्थ के मूल रचनाकार हैं : महात्मा विदुर (महाभारत, उद्योगपर्व) | इस पुस्तक के संपादक/प्रकाशक हैं : गोकुलचंद दीक्षित "चंद्र". इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 2 MB हैं | पुस्तक में कुल 62 पृष्ठ हैं |
Name of the book is : Vidur Niti. The original composition was done by Mahatma Vidur (Mahabharat, Udyog-Parva).This book is edited/published by: Gokulchand Dixit "Chandra". Approximate size of the PDF file of this book is 2 MB. This book has a total of 62 pages.
पुस्तक के लेखक | पुस्तक की श्रेणी | पुस्तक का साइज | कुल पृष्ठ |
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गोकुलचंद दीक्षित "चंद्र" | धर्म,राजनीती | 2 MB | 62 |
पुस्तक से :
जो सब प्राणियों को चाहता है, सत्य बोलता है, कोमल स्वभाव वाला है, योग्य मनुष्यों का मान करता है, शुद्ध भावना वाला है वह उत्तम जातिके निर्मल रत्न की भांति अपने कुटुम्ब में शोभन शील और प्रसिद्ध होता है।
सत्य से धर्मकी रक्षा की जाती है । अभ्यास से विद्या की रक्षा होती है. स्नान से रूप की रक्षा होती है और सदाचार से कुल की रक्षा होती है।
अच्छे वस्त्रों वाला सभा को, गौ वाला मिष्ट (मीठे) को, सवारी वाला मार्ग को जीत लेता है, परन्तु शील वाला पुरुष सब पर विजय प्राप्त करता है।
हे राजन् ! तीन प्रकार पुरुष होते हैं - उत्तम, मध्यम, नीच. यह यथावत तीन ही प्रकार के कामों में लगते हैं यथा संख्या उत्तम, मध्यम और नीच.
चिन्ता से कुछ मिलता नहीं, केवल चित्त (शरीर) को दुख होता है. इससे शत्रु प्रसन्न होते हैं। अतः शोक में मन को न लगावे।
(नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)
डाउनलोड लिंक :
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