भारत का संविधान हिन्दी पुस्तक | Bharat ka Samvidhan Hindi Book PDF

                           

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भारत का संविधान हिंदी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Bharat ka Samvidhan Hindi Book

इस पुस्तक का नाम है: भारत का संविधान | इस पुस्तक के लेखक हैं : डॉ. राजेंद्र प्रसाद | पुस्तक का प्रकाशन किया है : अज्ञात | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 37 MB हैं | पुस्तक में कुल 460 पृष्ठ हैं |

Name of the book is : Bharat ka Samvidhan. This book is written by: Dr Rajendra Prasad. The book is published by: Unknown. Approximate size of the PDF file of this book is 37 MB. This book has a total of 460 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
डॉ. राजेंद्र प्रसाद  राजनीति37 MB460



पुस्तक से : 

अनुच्छेद ५ में किसी बातके होते हुये भी कोई व्यक्ति, जो या जिसके जनकों में से कोई अथवा महाजनकों में से कोई भारत-शासन अधिनियम, १९३५ में परिभाषित भारतमें जन्मा था, तथा जो सामान्यतया इस प्रकार परिभाषित भारतके बाहर किसी देश में रहता है, भारतका नागरिक समझा जायेगा, यदि वह भारत डोमीनियन सरकार द्वारा या भारत सरकार द्वारा विहित प्रपत्र पर और रीतिसे नागरिकता प्राप्ति के आवेदन पत्रके अपने द्वारा उस देशमें, जहां वह तत्समय निवास कर रहा है, भारतके राजनयिक या वाणिज्यिक प्रतिनिधियों को इस संविधान के प्रारंभ से पहिले या बाद दिये जाने ऐसे राजनयिक या वाणिज्यिक प्रतिनिधि द्वारा भारतका नागरिक पंजीबद्ध कर लिया गया है।

 

इस अनुच्छेदकी किसी बातसे संसद् को कोई ऐसी विधि बनाने में बाधा न होगी जो किसी राज्य या संघ राज्य क्षेत्रकी सरकार के या उसमें के किसी स्थानीय या अन्य प्राधिकारीके प्रधीन किसी प्रकारकी नौकरी या पद पर नियुक्ति के विषय में वैसी नौकरी या नियुक्ति के पूर्व उस राज्य या संघ राज्य क्षेत्रके अंदर निवास विषयक कोई अपेक्षा विहित करती हो । इस अनुच्छेदकी किसी बात से राज्यके पिछड़े हुये किसी नागरिक वर्गके पक्ष में जिन का प्रतिनिधित्व राज्य की राय में राज्याधीन सेवाओंमें पर्याप्त नहीं है, नियुक्तियों या पदोंके रक्षण के लिये उपबन्ध करनेमें कोई बाधा न होगी।

 

 

उक्त खंड के उपखंड (ग) की कोई बात उक्त उपखंड द्वारा दिये गये अधिकारके प्रयोग पर सार्वजनिक व्यवस्था या सदाचार के हितों में युक्तियुक्त निर्बंन्धन जहां तक कोई वर्तमान विधि लगातीहो वहां तक उसके प्रवर्तन पर प्रभाव, अथवा वैसे निर्बन्धन लगाने वाली कोई विधि बनाने में राज्यके लिये रुकावट नही डालेगी।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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