होम्योपैथिक औषधियों का सजीव चित्रण हिन्दी पुस्तक | Homeopathic Aushadhiyon ka Sajeev Chitran Hindi Book PDF

 

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होम्योपैथिक औषधियों का सजीव चित्रण हिंदी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Homeopathic Aushadhiyon ka Sajeev Chitran Hindi Book

इस पुस्तक का नाम है: होम्योपैथिक औषधियों का सजीव चित्रण | इस पुस्तक के लेखक हैं : डॉ. सत्यव्रत सिद्धान्तालंकार | पुस्तक का प्रकाशन किया है : अज्ञात | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 34 MB हैं | पुस्तक में कुल 820 पृष्ठ हैं |

Name of the book is : Homeopathic Aushadhiyon ka Sajeev Chitran. This book is written by: Dr Satyavrat Siddhantalankar. The book is published by: Unknown. Approximate size of the PDF file of this book is 34 MB. This book has a total of 820 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
डॉ. सत्यव्रत सिद्धांतालंकार स्वास्थ्य, चिकित्सा34 MB820



पुस्तक से : 

होम्योपैथिक दवा मे हम दवा नहीं दे रहे होते, रोगी मे दवा के माध्यमसे एक शक्ति का संचार कर रहे होते हैं। होम्योपैथिक दवा शरीरमे एक शक्ति, एक लहर उत्पन्न करती है, और वही शरीरको निरोग बनाती है। अगर यह दवा एक शक्ति नहीं है तो क्या कारण है कि उच्च शक्ति की दवाका असर देर तक रहता है, हफ्तो, महीनो, सालो रहता है और यही नहीं कि वह रोगको नष्ट कर देती है, कभी-कभी उच्च-शक्ति मे दी गई गलत दवा मनुष्यमे नया रोग उत्पन्न कर देती है। डा० केन्ट अपने मॅटोरिया मंडिका के 'हिपर सल्फ' औषधि के प्रकरण में लिखते हैं कि अगर हमारी दवाएँ लोगोंको मृत्यु के गर्त मे न धकेल सकें तो उनमे वह शक्ति भी नहीं हो सकती कि रोगी को नोरोग कर सकें।

 

हमने देखा कि होम्योपैथिक औषधि भौतिक रूपमे औषधि नहीं है, शक्ति है। हनीमैन ने जब यह देख लिया कि उनकी शक्तिरूपा औषधिया रोगको जड़मूल से नष्ट कर देती हैं, तब उन्हें मानवके यथार्थ रूप के विषय में सोचने के लिये बाधित होना पड़ा। मनुष्य क्या है? क्या यह शरीर मनुष्य है? क्या रोग इस स्थूल शरीरमें पैदा होता है ? अगर रोग इस स्थूल शरीरसे ही प्रारंभ होता है तो नींद न आने पर, दर्द होने पर, अफीम देने से समस्या का हल हो जाना चाहिये। परन्तु ऐसा नहीं होता।

 

 

किसी रोग पर तब तक सुनिर्वाचित औषधि सफलतापूर्वक नहीं दी जा सकती जब तक रोगके लक्षणो तया औषधि के लक्षणोंमें अधिक से अधिक समानता न हो परन्तु इस समानताका निर्णय करना आसान नहीं है। रोगका इलाज तब तक नहीं हो सकता जब तक रोग के लक्षण और औषधिके लक्षण न मिल जायें, परन्तु अगर 'मॅटोरिया-मंडिका' की किसी औषधि का भी अध्ययन क्यो न किया जाय, साधारण रूपसे यही प्रतीत होता है कि प्रत्येक औषधि में प्रत्येक रोगको उत्पन्न करने और इसीलिये दूर करने की शक्ति है।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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