इंद्रजाल पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Indrajal Hindi Book
इस पुस्तक का नाम है: इंद्रजाल | इस पुस्तक के लेखक हैं : रघुनाथ सिंह | पुस्तक का प्रकाशन किया है : नवीन प्रकाशन मंदिर | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 5 MB हैं | पुस्तक में कुल 186 पृष्ठ हैं |
Name of the book is : Indrajal. This book is written by: Raghunath Singh. The book is published by: Navin Prakashan Mandir. Approximate size of the PDF file of this book is 5 MB. This book has a total of 186 pages.
पुस्तक के लेखक | पुस्तक की श्रेणी | पुस्तक का साइज | कुल पृष्ठ |
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रघुनाथ सिंह | तंत्र,मंत्र | 5 MB | 186 |
पुस्तक से :
उसे देखते ही नारी सुलभ लज्जा से युवतीके विलोल लोचन नमित हो गए । युवतीका सामना होते-ही आगन्तुक भी ठिठक गया। करुणा अपना गम्भीर आवरण उसके शिथिल एवं उदासीन मुख पर विस्तारित किए हुए थी। सद्यजात घृणा ने उसके मुख मण्डलकी कान्ति को और भी ज्यादा आवृत कर लिया।
विंध्याचल के गहन कानन के बीच कान्तार गामिनी युवती के बढ़ते हुए पद इस मर्मस्पर्शी सम्बोधन-स्वर को सुनतेही सहसा स्तम्भित हो गए। उसने चकित होकर चतुर्दिश पर्यालोचन किया तो पादुका-विहीन पदचिह्नों से अंकित तुल्य क्षीण कान्तार की अपेक्षा उसे और कुछ दृष्टिगत न हुआ | अनन्तर उस श्यामांगी युवतीके अरुण विलोचनों की तारिकाऍ अपांगों के मध्य चकराती हुई अन्वेषण करने लगीं। वह ज्योंही आई हुई ध्वनिकी दिशाकी ओर बढ़ने का उपक्रम करने लगी त्योंही पुनः सुनाई पड़ा - शुभे, ठहरो! ठहरो! ठहरो!
आगन्तुक वेगके साथ युवतीके समीप लड़खड़ाता हुआ आ पहुँचा। आगन्तुक पर चकित दृष्टि डालती हुई युवती पीछे हटने लगी। आगन्तुक शिथिलताके कारण अपने को सँभाल न सका । वह पृथ्वी पर गिर गया। उसे अपनी इस निर्बल एवं दयनीय दशा पर स्वयं आश्चर्य होने लगा।
(नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)
डाउनलोड लिंक :
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