श्री कल्कि पुराण हिन्दी पुस्तक | Shri Kalki Puran Hindi Book PDF

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श्री कल्कि पुराण हिन्दी ग्रन्थ के बारे में अधिक जानकारी | More details about Shri Kalki Puran Hindi Book

इस ग्रन्थ का नाम है : श्री कल्कि पुराण | इस ग्रन्थ के लेखक/प्रकाशक हैं : अज्ञात | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 14 MB हैं | इस पुस्तक में कुल 259 पृष्ठ हैं |

Name of the book is: Shri Kalki Puran | This book is written/published by : Unknown | Approximate size of the PDF file of this book is: 14 MB. This book has a total of 259 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
अज्ञातभक्ति, धर्म, पुराण14 MB259


पुस्तक से :

चलते-चलते समुद्र पार पहुंचकर उन्होने स्वच्छ जल से घिरे हुए, विभिन्न विमानो से युक्त, मणियों और स्वर्ण से दमकते हुए अट्टालिकाओ और भवनो के समक्ष पताकाओं और तोरणों से सजे हुए सभामंडप वाले, दुकानों और गोपुरादि से समन्वित पद्मिनी नारियों के पद्मगंध हर्षित मंडराते हुए भ्रमर समूह से युक्त कारुमती सिंघल पुरी को देखा. वहाँ जलाशयों में हंस समूह किलोल कर रहे हैं, कमलों पर भ्रमर गुजार रहे हैं, जलकुक्कूट, दास्यूह, हंस, सारस आदि कलरव कर रहे हैं तथा जल की लोल लहरी के साथ इठलाती वायु प्रवाहित है।

 

सूतजी बोले- हे मुनीश्वरो! प्राचीन समय की बात है - इस परम अद्भुत उपाख्यान को पूछने पर ब्रह्माजी ने नारदजी से जो कहा था, वही मैं आपके प्रति कहता हूँ. फिर नारद जी ने इसका वर्णन व्यासजी से किया, जिसे व्यासजी ने अपने मेधावी पुत्र ब्रह्मरात को सुनाया. ब्रह्मरात ने उसे अभिमन्यु पुत्र विष्णुरात के प्रति अट्ठारह सहस्त्र श्लोकोमें सभा मंडप के मध्य में सुनाया. उस समय प्रश्न होते-होते राजा विष्णुरात ने एक सप्ताह में शेष प्रश्नो को पूर्ण कर लिया और लय को प्राप्त हो गये। उसी कथा के शेष अंश अर्थात सक्षिप्त रूप को शुकदेवजी ने मार्कण्डेय प्रभृति मुनियों के प्रश्न करने पर कहा.

 


सूर्यके समान तेजस्वी उन ईश्वर स्वरूप आगन्तुको को देखकर द्विजवर विष्णुयश ने उनका पूजन किया. भले प्रकार सुपूजित हुए वे मुनिगण श्रेष्ठ आसनो पर सुखपूर्वक विराजे, तब उन्होने अपने पिता की गोद में बैठे हुए भगवानके दर्शन किए. उन ज्ञानी मुनीश्वरी ने मनुष्य रूप मे शिशु स्वरूप भगवानको नमस्कार किया और तब उन्होंने जान लिया कि कलिकालके विनाशार्थ भगवान् श्रीकल्कि का अवतार हुआ है.

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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