लक्ष्य अब दूर नहीं - स्वामी रामसुखदासजी हिन्दी पुस्तक | Lakshya ab Dur Nahin - Swami Ramsukhdas ji Hindi PDF

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लक्ष्य अब दूर नहीं हिन्दी ग्रन्थ के बारे में अधिक जानकारी | More details about Lakshya ab Dur Nahin Hindi Book

इस ग्रन्थ का नाम है : लक्ष्य अब दूर नहीं | इस ग्रन्थ के लेखक/संपादक हैं : स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : गीता प्रेस गोरखपुर | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 38 MB हैं | इस पुस्तक में कुल 81 पृष्ठ हैं |

Name of the book is: Lakshya ab Dur Nahin | This book is written/edited by : Swami Shri-Ramsukhdasji-Maharaj | Publisher of this book is : Gita-Press Gorakhpur. Approximate size of the PDF file of this book is: 38 MB. This book has a total of 81 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराजभक्ति, धर्म,38 MB81


पुस्तक से :

इस युगके अप्रतिम महापुरुष परम श्रद्धेय स्वामी श्रीरामसुखदासजी महाराज रात-दिन ऐसे उपायोंकी खोजमें लगे रहते थे, जिनके द्वारा प्रत्येक कल्याणकामी मनुष्य शीघ्र से शीघ्र तथा सुगमता से अपना कल्याण कर सके, परमात्माको प्राप्त कर सके। उन्होंने अपने प्रवचनों में अनेक बार यह बात कही कि अगर मेरा शरीर कुछ वर्ष और रह गया तो मैं भगवत्प्राप्ति और सुगम बना दूंगा! कारण कि उनके जीवनका एक ही विषय था कि मनुष्यमात्रका कल्याण कैसे हो? इस विषय में उन्होंने अनेक क्रान्तिकारी उपायोंकी खोज की और उन्हें अपने प्रवचनों तथा पुस्तकोंके माध्यमसे साधकों तक पहुँचाया।

 

मैं सबका हित चाहता हूँ, पर चाहते हुए भी कुछ कर नहीं पा रहा हूँ। इससे सिद्ध हुआ कि जबतक मनुष्य खुद अपने उद्धारके लिये तैयार नहीं होता, तबतक दूसरा उसका उद्धार करना चाहते हुए भी नहीं कर सकता। हमने इतने प्रवचन दिये, इतनी पुस्तकें लिखीं, फिर भी उनका जैसा असर होना चाहिये, वैसा नहीं दीख रहा है। इसका कारण यही है कि लोगोंमें भूख है नहीं और हमने बढ़िया भोजन परोस दिया।

 


इस विषय में एक बात विशेष महत्त्वकी है कि संसारके जितने भी काम हैं, सब के सब बनने और बिगड़नेवाले हैं। बननेवाले काममें देर लगती है, परन्तु बने-बनाये (विद्यमान) काममें देर कैसे लग सकती है? परमात्मा भी विद्यमान हैं और हम भी विद्यमान हैं। उनके और हमारे बीच देश-काल आदि का कोई भी व्यवधान नहीं है, फिर परमात्माकी प्राप्तिमें देर क्यों लगनी चाहिये?

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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