नवदुर्गा (गीता प्रेस) हिन्दी ग्रन्थ | Nava-Durga (Gita-Press) Hindi Book PDF

 

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नवदुर्गा हिन्दी ग्रन्थ के बारे में अधिक जानकारी | More details about Nava-Durga Hindi Book

इस ग्रन्थ का नाम है : नवदुर्गा | इस ग्रन्थ के लेखक/प्रकाशक हैं : गीता प्रेस गोरखपुर | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 9 MB हैं | इस पुस्तक में कुल 11 पृष्ठ हैं |

Name of the book is: Nava-Durga | This book is written/published by : Gita Press Gorakhpur | Approximate size of the PDF file of this book is: 9 MB. This book has a total of 11 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
गीता प्रेसभक्ति, धर्म7 MB124


पुस्तक से :

हमें चाहिये कि हम शास्त्रों पुराणोंमें वर्णित विधि-विधान के अनुसार माँ दुर्गाकी उपासना और भक्तिके मार्ग पर अहर्निश अग्रसर हो। माताके भक्ति मार्ग पर कुछ ही कदम आगे बढ़नेपर भक्त साधकको उनकी कृपाका सूक्ष्म अनुभव होने लगता है। यह दुःख स्वरूप संसार उसके लिये अत्यन्त सुखद और सुगम बन जाता है. माँ की उपासना मनुष्य को सहज भावसे भवसागरसे पार उतारने के लिये सर्वाधिक सुगम और श्रेयस्कर मार्ग है।

 

सतीने पिता के घर पहुंचकर देखा कि कोई भी उनसे आदर और प्रेम के साथ बात-चीत नहीं कर रहा है। सारे लोग मुँह फेरे हुए हैं। केवल उनकी माता ने स्नेह से उन्हें गले लगाया। बहनों की बातों में व्यंग्य और उपहास के भाव भरे हुए थे। परिजनों के इस व्यवहार से उनके मन को बहुत क्लेश पहुंचा। उन्होंने यह भी देखा कि वहाँ चतुर्दिक भगवान् शङ्करजीके प्रति तिरस्कार का भाव भरा हुआ है। दक्षने उनके प्रति कुछ अपमानजनक वचन भी कहे। यह सब देखकर सतीका हृदय क्षोभ, ग्लानि और क्रोध से संतप्त हो उठा।

 


माँ के चरणोंका यह सान्निध्य प्राप्त करने के लिये हमें निरन्तर नियमनिष्ठ रहकर उनकी उपासना करनी चाहिये। माँ भगवतीका स्मरण, ध्यान, पूजन हमें इस संसारकी असारताका बोध कराते हुए वास्तविक परमशान्तिदायक अमृतपद की ओर ले जाने वाला है।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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