रामायण हिंदी ग्रंथ । Ramayan (Bhargav Pryag Narayan) Hindi Book PDF

                       

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रामायण हिंदी ग्रंथ के बारे में अधिक जानकारी | More details about Ramayan Hindi Book

इस पुस्तक का नाम है: रामायण | इस पुस्तक के लेखक हैं : भार्गव प्रयाग नारायण | पुस्तक का प्रकाशन किया है : नवलकिशोर प्रेस,लखनऊ | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 91 MB हैं | पुस्तक में कुल 693 पृष्ठ हैं |

Name of the book is : Ramayan. This book is written by: Bhargav Pryag Narayan. The book is published by: Navalkishor press, Lucknow. Approximate size of the PDF file of this book is 91 MB. This book has a total of 693 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
भार्गव प्रयाग नारायण  भक्ति, धर्म,ग्रंथ,महाकाव्य91 MB693



पुस्तक से : 

तुरत भवन आये गिरिराई सकल शैल सर लिये बुलाई, आदर दान विनय बहु माना ॐ सबकहँ विदा कीन्ह हिमवाना, जबहिं शम्भु कैलास-हिं आये सुर सब निज निज धाम सिधाये, जगतमातु पितु शम्भु भवानी तेहि शृंगार न कहेउँ बखानी, कर-हिं विविधविधि भोग विलासा गणन समेत बसहिं कैलासा, हरगिरिजाविहार नित नयऊ यहि विधि विपुल काल चलि गयऊ, तब जनमे पटवेदन कुमारा तारक असुर समर जिन मारा, आगम निगम प्रसिद्ध पुराना ॐ पटमुख जन्म कर्म जग जाना।

 

नारद कर में कहा बिगारा भवन मोर जिन बसत उजारा, अस उपदेश उमहिं जिन दीन्हा बौरे वरहि लागि तप कीन्हा, सांचेहु उनके मोह न माया के उदासीन धनधाम न जाया, पर घर घालक लाज न भीरा बांझ कि जान प्रसव की पीरा, जननिहिं बिकल विलोकि भवानी बोलीं युत विवेक मृदुबानी, अविचारि शोचहु जनि माता ॐ सो न टरै जो रचेउ विधाता, कर्म्म लिखा जो बावर नाहूं तो कत दोष लगाइय काहू।

 

 

यदपि योषित अधिकारी दासी मन क्रम वचन तुम्हारी, गृढ़ौ तत्त्व न साधु दुरावहिं आरत अधिकारी जहँ पावहिं, अति भारत पूंछों सुरराया रघुपति कथा कहहु करि दाया, प्रथम सो कारण कहहु विचारी निर्गुणब्रह्म सगुण वपुं धारी, पुनि प्रभु कहहु रामअवतारा बाल चरित पुनि कहहु उदारा, कहहु यथा जानकी विवाहाराज तजा सो दूषण काही, वन बसि कीन्हेउ चरितारा कहहु नाथ जिमि रावण मारा।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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