आरती और चालीसा संग्रह हिन्दी पुस्तक | Aarti aur Chalisa Sangrah Hindi Book PDF

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आरती और चालीसा संग्रह हिन्दी ग्रन्थ के बारे में अधिक जानकारी | More details about Aarti aur Chalisa Sangrah Hindi Book

इस ग्रन्थ का नाम है : आरती और चालीसा संग्रह | इस ग्रन्थ के लेखक हैं : अज्ञात | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : रणधीर प्रकाशन, हरिद्वार. इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 39 MB हैं | इस पुस्तक में कुल 281 पृष्ठ हैं |

Name of the book is: Aarti aur Chalisa Sangrah | This book is written by : Unknown | This book is published by : Ranadheer Prakashan Haridwar. Approximate size of the PDF file of this book is: 39 MB. This book has a total of 281 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
अज्ञातभक्ति, धर्म39 MB281


पुस्तक से :

ऋद्धि सिद्धि तव चंवर सुधारे, मूषक वाहन सोहत द्वारे। कहीं जन्म शुभ कथा तुम्हारी, अति शुचि पावन मंगलकारी। एक समय गिरिराज कुमारी, पुत्र हेतु तप कीन्हों भारी। भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा, तब पहुँच्यो तुम धरि द्विज रूपा। अतिथि जानि के गौरी सुखारी, बहु विधि सेवा करी तुम्हारी। अति प्रसन्न ह्वै तुम वर दीन्हा, मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा। मिलहिं पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला, बिना गर्भधारण यहि काला। गणनायक गुण ज्ञान निधाना, पूजित प्रथम रूप भगवाना।

 

जय यदुनन्दन जय जगवन्दन, जय वसुदेव देवकी नन्दन. जय यशुदा सुत नन्द दुलारे, जय प्रभु भक्तन के दूंग तारे। जय नटनागर नाग नथइया, कृष्ण कन्हैया धेनु चरइया। पुनि नख पर प्रभु गिरिवर धारो, आओ दीनन कष्ट निवारो। बंशी मधुर अधर धरि टेरी, होवे पूर्ण विनय यह मेरी।

 


शीलदया सन्तोष सुलक्षण, विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण। करहुँ आपका किस विधि पूजन, कुमति विलोक होत दुख भीषण। करहुँ प्रणाम कौन विधिसुमिरण, कौन भांति मैं करहु समर्पण। सुर मुनि करत सदा सिवकाई, हर्षित रहत परम गति पाई। दीन दुखिन पर सदा सहाई, निज जन जान लेव अपनाई। पाप-दोष संताप नशाओ, भव बन्धनसे मुक्त कराओ।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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