आखिर क्यों (धार्मिक प्रश्नोत्तरी) हिन्दी ग्रन्थ के बारे में अधिक जानकारी | More details about Akhir Kyon Hindi Book
इस ग्रन्थ का नाम है : आखिर क्यों (धार्मिक प्रश्नोत्तरी) | इस ग्रन्थ के रचनाकार हैं : महेंद्र नाथावत | इस पुस्तक के संपादक/प्रकाशक हैं : न्यू रवि प्रकाशन, दिल्ली. इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 38 MB हैं | इस पुस्तक में कुल 72 पृष्ठ हैं |
Name of the book is: Akhir Kyon | This book is originally written by : Mahendra Nathavat | This book is edited/published by : New Ravi Prakashan, Delhi. Approximate size of the PDF file of this book is: 38 MB. This book has a total of 72 pages.
पुस्तक के लेखक | पुस्तक की श्रेणी | पुस्तक का साइज | कुल पृष्ठ |
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महेंद्र नाथावत | भक्ति, धर्म | 38 MB | 72 |
पुस्तक से :
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से उपवास रखने का कारण यह है कि 'अन्न' में एक प्रकार का नशा होता है, मादकता होती है। भोजन करने के बाद आप स्वयं अनुभव करते होंगे कि आलस्य आता है। कभी-कभी पेटमें गैस या खट्टी डकार आने जैसे विकास भी उत्पन्न हो जाते हैं। शरीरके सौष्ठव को बनाये रखने और अन्नकी मादकता को कम करने का एकमात्र साधन है उपवास. आज के अत्याधुनिक फैशनपरस्त युग में लोग 'डायटिंग' भी करते हैं। मोटापा कम करने के लिए भी उपवास व्रत रखते हैं।
भोजन ग्रहण करने के पश्चात् कम से कम सौ कदम चलना अति आवश्यक है। चलने से भोजन यदि आहारनाल में कहीं पड़ा बहुत फंसा भी होता है तो वह आसानी से पेटमें पहुंच जाता है। जबकि सोने से उसी स्थान पर रुका रह जाता है। भोजन करके आहार नाल में कभी-कभी समस्या भी उत्पन्न हो जाती है। भोजन करके तुरन्त सोनेसे कई प्रकार के रोग उत्पन्न हो सकते हैं और बैठे रहने से पेट बढ़ जाता है।
मृत्युकालके समय प्राणी (मनुष्य) को उत्तर की ओर सिर करके इसलिए लिटाते हैं कि प्राणों का उत्सर्ग दशक द्वार से हो। चुम्बकीय विद्युत प्रवाह की दिशा दक्षिण से उत्तर की ओर होती है। कहते हैं कि मरनेके बाद भी कुछ क्षणों तक प्राण मस्तिष्क में रहते हैं। अत: उत्तर दिशा में सिर करने से ध्रुवाकर्षण के कारण प्राण शीघ्र निकल जाता है।
(नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)
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