आनंदमठ हिन्दी पुस्तक | Anandmath Hindi Book PDF

                                

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आनंदमठ हिंदी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Anandmath Hindi Book

इस पुस्तक का नाम है: आनंदमठ | इस पुस्तक के लेखक हैं : बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय |  पुस्तक का प्रकाशन किया है : अज्ञात | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 1 MB हैं | पुस्तक में कुल 78 पृष्ठ हैं |

Name of the book is : Anandmath. This book is written by: Bankimchandra Chattopadhyay. The book is published by: Unknown. Approximate size of the PDF file of this book is 1 MB. This book has a total of 78 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
बंकिमचंद्र चट्टोपाध्यायउपन्यास,कहानी1 MB78



पुस्तक से : 

पहले लोगोने भीख मांगना शुरू किया, इसके बाद कौन भिक्षा देता है? उपवास शुरू हो गया। फिर जनता रोगाकांत होने लगी। गो, बैल, हल बेचे गए, बीज के लिए संचित अन्न खा गए, घर-बार बेचा, खेती-बारी बेची। इसके बाद लोगोने लड़कियां बेचना शुरू किया, फिर लड़के बेचे जाने लगे, इसके बाद गृहलक्ष्मियोका विक्रय प्रारंभ हुआ।

 

जिस वनमे डाकू कल्याणी को लेकर घुसे, वह वन बड़ा ही मनोहर था। यहां रोशनी नहीं कि शोभा दिखाई दे, ऐसी आंखे भी नहीं कि दरिद्र के हृदयके सौंदर्यकी तरह उस वनका सौंदर्य भी देख सके। देशमें आहार द्रव्य रहे या न रहे- वन मे फूल हैं; फूलो की सुगंध से मानो उस अंधकारमे प्रकाश हो रहा है। बीच की साफ-सुकोमल और पुष्पावृत जमीन पर डाकुओने कल्याणी और उसकी कन्याको उतारा और सब उन्हे घेरकर बैठ गए। इसके बाद उन सब में यह बहस चली कि इन लोगोंका क्या किया जाए? कल्याणी को जो कुछ गहने थे, उन्हे डाकुओने पहले ही हस्तगत कर लिया।

 

 

जंगल के भीतर घनघोर अंधकार है। कल्याणीको उधर राह मिलना मुश्किल हो गया। वृक्ष-लताओ के झुरमुट के कारण एक तो राह कठिन, दूसरे रात का घना अंधेरा। कांटोसे विंधती हुई कल्याणी उन आदमखोरों से बचनेके लिए भागी जा रही थी। बेचारी कोमल लड़कीको भी कांटे लग रहे थे। अबोध बालिका गोदमे चीखकर रोने लगी; उसका रोना सुनकर दस्युदल और चीत्कार करने लगा। फिर भी, कल्याणी पागलोकी तरह जंगलमे तीर की तरह घुसती भागी जा रही थी।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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