आर्यभट हिंदी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Aryabhatt Hindi Book
इस पुस्तक का नाम है : आर्यभट | इस पुस्तक के लेखक हैं : गुणाकर मुले | पुस्तक का प्रकाशन किया है : ज्ञान विज्ञान प्रकशन, नई दिल्ली | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 4 MB हैं | पुस्तक में कुल 82 पृष्ठ हैं |
Name of the book is : Aryabhatt. This book is written by : Gunakar Mule. The book is published by : Gyan Vigyan Prakashan, New Delhi. Approximate size of the PDF file of this book is 4 MB. This book has a total of 82 pages.
पुस्तक के लेखक | पुस्तक की श्रेणी | पुस्तक का साइज | कुल पृष्ठ |
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गुणाकर मुले | इतिहास | 4 MB | 82 |
पुस्तक से :
उस जमाने में आज के पटना शहर को पाटलिपुत्र के नाम से जाना जाता था। यह नगर कुसुमपुर के नाम से भी प्रसिद्ध था। यह एक बहुत ही बड़ा नगर था बल्कि यह कह सकते हैं कि उस समय यह हमारे देश का सबसे बड़ा नगर था। सीधी और चौड़ सड़कें थी, कई मंजिली इमारतों की कतारें । चारो तरफ हरे–भरे बाग बगीचे । इन बगीचों में बड़ी तादाद में खिलनेवाले फूलों के कारण ही इस नगर को कुसुमपुर अथवा पुष्पपुर के नाम से भी जाना जाता था।
जब समुद्र मंथन हुआ था तब उसमें से अन्य बहुत सी वस्तुओं के साथ अमृत भी निकला था। उसे ग्रहण करने के लिए देवताओं की पंगत बैठी। परंतु भेष बदलकर और लुक-छिपकर राहु भी देवताओं की उस पंगत में शामिल हो गया। अमृत परोसा जाने लगा ।
पाटलिपुत्र नगर से थोड़ी दूर पर एक आश्रम में कुछ दूसरा ही माहौल था । वह आश्रम एक टीले पर बसा था । वहाँ भी आज बड़ी चहल-पहल थी । लेकिन वह चहल-पहल कुछ अलग ही प्रकार की थी। वह आश्रम भी कुछ भिन्न प्रकार का था ।
(नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)
डाउनलोड लिंक :
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