अथर्ववेदः हिंदी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Atharvaveda Hindi Book
इस पुस्तक का नाम है : अथर्ववेदः | इस पुस्तक के लेखक हैं : विश्व बंधु | पुस्तक का प्रकाशन किया है : अज्ञात | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 48 MB हैं | पुस्तक में कुल 464 पृष्ठ हैं |
Name of the book is : Atharvaveda. This book is written by : Vishva Bandhu. The book is published by : Unknown. Approximate size of the PDF file of this book is 48 MB. This book has a total of 464 pages.
पुस्तक के लेखक | पुस्तक की श्रेणी | पुस्तक का साइज | कुल पृष्ठ |
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विश्व बंधु | वेद,धर्म,भक्ति | 48 MB | 464 |
पुस्तक से :
आदित्याः अदितेः पुत्राः सर्वे देवाः दिवः धुलोकाद्मा मां रक्षन्तु धुलोकनिबन्धनेभ्यो शन्यादिभ्यो दैवीभ्य आपद्भ्यो रक्षन्तु । भमयः अङ्गनशीला गार्हपत्यादय स्त्रयोग्नयो भूम्याः सकाशाद् रक्षन्तु भूमिहेतुकान् उपद्रवान् परिहरन्तु । दिवो भूम्या इत्युभयत्र 'भीत्रार्थानाम् ,इति अपादानत्वात् पञ्चमी तथा पुरस्तात् पूर्वस्या दिशोमा माम् इन्द्रामो रक्षताम् पालयताम् । इन्द्रः पूर्वदिगभि मानी । आहवनीयाग्निरपि पूर्वदिगभिमुख एव प्रणीयते ।
क्रमतेर्विपूर्वत्वाभावेऽपि व्यत्ययेन आत्मने पदम् । यद्वा वृत्त्याद्यर्थेषु अनुपसर्गात् आत्मनेपदम् । यद् गन्तव्यं स्थानम् उद्दिश्य उत्सहे तत्र तथा यत् स्थानं श्रये आश्रयामि तत्र । धिन सेवायाम्। लटि जित्त्वात् कर्त्रभिप्राये क्रियाफले आत्मनेपदम् । र्ता पुरम्या उद्दिष्टा पूः शय्यागृहलक्षणा तां पुरं प्रेमि प्रगच्छामि ।
दि॒वो मा॑दि॒त्या र॑क्षन्तु॒ भूम्या॑ रक्षन्त्व॒ग्नये॑ । इ॒न्द्रा॒ाग्नी र॑क्षता॑ मा पु॒रस्ता॑द॒श्विना॑व॒भित॒ शर्म॑ यच्छताम् ति॒र॒चीन॒घ्न्या' र॑क्षतु जा॒तवे॑दा भ्रूत॒कृतो॑ मे स॒र्वतः सन्तु॒ वर्म॑ ॥
(नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)
डाउनलोड लिंक :
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