भारत विखंडन हिंदी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Bharat Vikhandan Hindi Book
इस पुस्तक का नाम है : भारत विखंडन | इस पुस्तक के लेखक हैं : राजीव मल्होत्रा | पुस्तक का प्रकाशन किया है : हार्परकॉलिंस पब्लिशर्स इंडिया | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 6 MB हैं | पुस्तक में कुल 577 पृष्ठ हैं |
Name of the book is : Bharat Vikhandan. This book is written by : Rajiv Malhotra. The book is published by : Harper Collins Publishers India. Approximate size of the PDF file of this book is 6 MB. This book has a total of 577 pages.
पुस्तक के लेखक | पुस्तक की श्रेणी | पुस्तक का साइज | कुल पृष्ठ |
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राजीव मल्होत्रा | इतिहास,भारत | 6 MB | 577 |
पुस्तक से :
इस तरह, अमरीकी नस्लवाद, गुलामी और श्वेत/अश्वेत सम्बन्धोंका इतिहास भारतीय समाज पर थोपा जा रहा है। यद्धपि आधुनिक जाति-व्यवस्था की बुनावट और उसके अन्तर सम्बन्धों में ऐसे कई चरण रहे हैं जिनमें दलितोंके प्रति पूर्वाग्रह रहा है, किंतु भारत दलितों के अनुभवों और अमरीकाके अफ्रीकी गुलामोंके अनुभवों में तनिक सी भी समानता नहीं है। फिर भी अमरीकी अनुभव के आधार पर, अफ्रीकी दलित परियोजना, भारत के दलितों को 'एक भिन्न नस्ल के लोगों के हाथों पीड़ित हुए समुदाय' के रूप में चित्रित करते हुए उन्हें एक विशेष रूप से 'सशक्त' बनानेका प्रयास कर रहा है।
ऐसे विभिन्न सिद्धान्तों को प्रतिपादित करने में जुटे मुख्य संगठनों की जांच लगाने का फैसला किया और साथ ही उन राजनीतिक दबावों का भी जो इनकी अगुवाई कर रहे हैं, और जो भारत पर मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप भी लगाते हैं। इन शोध में अमरीका की वित्तीय सहायता के प्रावधानों की घोषणाका उपयोग करते हुए यह पता लगाना भी शामिल था कि यह धन किन-किन रास्तों से कहाँ-कहाँ से आ रहा है और कहां जा रहा हैं।
बिशप कॉल्डवेल ने यह प्रस्तावित किया कि द्रविड़ भारत में आर्यों से पहले आए थे, लेकिन ब्राह्मणों द्वारा वे ठगे गये, जो आर्यों के धूर्त प्रतिनिधि थे। उन्होंने तर्क दिया कि भोले-भाले द्रविड़ों को आर्यों ने धार्मिक शोषण द्वारा अपने बंधन में रखा। इस तरह द्रविड़ों को उनके जैसे यूरोपीय जनों द्वारा मुक्त कराये जाने की आवश्यकता थी।
(नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)
डाउनलोड लिंक :
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