चैतन्य महाप्रभु हिंदी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Chaitanya Mahaprabhu Hindi Book
इस पुस्तक का नाम है : चैतन्य महाप्रभु | इस पुस्तक के लेखक हैं : अज्ञात | पुस्तक का प्रकाशन किया है : प्रभात प्रकाशन, दिल्ली | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 1 MB हैं | पुस्तक में कुल 88 पृष्ठ हैं |
Name of the book is : Chaitanya Mahaprabhu. This book is written by : Unknown. The book is published by : Prabhat Prakashan, Delhi. Approximate size of the PDF file of this book is 1 MB. This book has a total of 88 pages.
पुस्तक के लेखक | पुस्तक की श्रेणी | पुस्तक का साइज | कुल पृष्ठ |
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अज्ञात | जीवनी,भक्ति,प्रेरक | 1 MB | 88 |
पुस्तक से :
वहाँ उनकी माँ को रात में ऐसा स्वप्न आया की तुम्हारे घर पौत्र बनकर आ रहा हूँ किंतु यह मेरी जन्मभूमि नहीं होगी, अतः तुम अपनी पुत्रबहू से कहो कि वे नवद्वीप लौट जाएँ। जगन्नाथजी ने सपने को सुना तो वे आश्चर्य में पड़ गए। माँ के आग्रह पर वे नवद्वीप लौट गए फिर कुछ ही दिनों में पता चला कि पत्नी गर्भवती हो गई है। उनकी माँ का सपना कोई संयोग था या फिर दैवीय घटना, चाहे जो भी हो, गर्भवती माँ का गर्भकाल समीप आता गया। नौ माह पूरे भी हो गए किंतु प्रसव वेदना आरंभ नहीं हो रही थी। प्रसव में विलंब होता देख शची ने अपने पिता से कहा, 'अवश्य ही कोई महापुरुष घर में पधारनेवाला हैं।'
फिर अचानक उन्हें क्या हुआ कि वे हरि कीर्तन गाने लगीं। संस्कारशीला माँ के मुख से और निकल भी क्या सकता था। दो बोल निकलते ही मन का उद्वेग शांत हो गया और ऊपर से आश्चर्य यह कि निमाई बिलकुल चुप हो गया। वह लगातार माँ के मुख को निहारने लगा। ऐसा लगता था मानो हरि कीर्तन के एक-एक शब्द को अपने शरीर के एक-एक रोएँ से सुन लेना चाहता हो।
नन्हा बालक बावलों की तरह नाचता और घंटों नाचता ही रह जाता। यदि उसे टोका जाता और नृत्य करने से रोका जाता तो उसे और भी ज्यादा धुन चढ़ जाता। ऐसा नृत्य दूसरों के लिए भले ही एक कौतूहल का विषय हो, पर शची माँ के लिए पीड़ा का विषय था।
(नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)
डाउनलोड लिंक :
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