ध्यान कैसे करें हिन्दी पुस्तक | Dhyan Kaise Kare Hindi Book PDF

                                            

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ध्यान कैसे करें हिंदी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Dhyan Kaise Kare Hindi Book

इस पुस्तक का नाम है : ध्यान कैसे करें | इस पुस्तक के लेखक हैं : डॉ. विक्रम गुप्ता |  पुस्तक का प्रकाशन किया है : दिव्य योग केंद्र, जम्मू | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 31 MB हैं | पुस्तक में कुल 122 पृष्ठ हैं |

Name of the book is : Dhyan Kaise Kare. This book is written by : Dr Vikram Gupta. The book is published by : Divya Yoga Kendra, Jammu. Approximate size of the PDF file of this book is 31 MB. This book has a total of 122 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
डॉ. विक्रम गुप्ताध्यान,योग,भक्ति31 MB122



पुस्तक से : 

इस संसार में ऐसा कोई भी प्राणी नहीं है जिसे ध्यान का आसरा न लेना पड़ता हो । जीवन के हर एक क्षेत्र में जीवन के एक-एक क्षण में पग-पग पर हमे ध्यान का सहारा लेना ही पड़ता है। ध्यान मनुष्य का एक ऐसा स्वभाव है जिसे मनुष्य जन्म के साथ ही अपने साथ ले कर आता है। जिस काम को मनुष्य ध्यान के साथ करता है उस में उसे अपार सफलता की प्राप्ति होती है तथा विजय श्री सदा ही उसके चरण चूमती है। अगर मानव जीवन को साथर्क बनाना है तो यह केवल ध्यान के माध्यम से ही सम्भव है। अलग अलग धर्मों के सिद्धान्त अलग अलग हो सकते हैं परन्तु एक बात पर सभी सहमत हैं कि जो आनन्द का मार्ग है वह ध्यान से होकर जाता है।

      


     जैसे आप ने देखा है कि जमीन में पानी है, लकड़ी के अन्दर आग है, दूध में घी है          पर ये दिखाई नहीं देते जबकि विधिपूर्वक प्रयास करने के पश्चात ही ये दृष्टिगोचर          होते हैं । ठीक उसी प्रकार से अपने मन, बुद्धि और चित्त को निर्मल और शान्त              करने हेतु ध्यान का विधिपूर्वक और अटलता से अभ्यास करने से ही आप अपने          अन्दर उस परम सत्य की खोज के तरीके के सरल मार्ग को प्राप्त कर सकते है।            फिर उस असीम आनन्द को जन जन के मंगल कल्याण हेतु बांटने में आप साधक        समृद्ध पुरुष की तरह हमेशा तत्पर रहेंगे ।

 

 

अब जीवन एवं जगत के सम्बन्ध में कई प्रश्न उठने लगे है । आत्मिक उन्नति की सही दिशा क्या है? इस जिझासा ने योग साहित्य के अध्यन की ओर लोगो का झुकाव और ज्यादा कर दिया है। एक बात मैं अपने सच्चे मन से कह दूँ कि योग जैसे महान विषय पर कुछ कहना, मैं समझता हूँ कि मेरे लिए बाल बुद्धि का ही प्रयास है।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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