गैलिलियो जीवनी हिन्दी पुस्तक | Galileo Jivani Hindi Book PDF

                                             

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गैलिलियो जीवनी हिंदी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Galileo Jivani Hindi Book

इस पुस्तक का नाम है : गैलिलियो जीवनी | इस पुस्तक के लेखक हैं : आशुतोष उपाध्याय |  पुस्तक का प्रकाशन किया है : अज्ञात | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 1 MB हैं | पुस्तक में कुल 33 पृष्ठ हैं |

Name of the book is : Galileo Jivani. This book is written by : Aashutosh Upadhyaya. The book is published by : Unknown. Approximate size of the PDF file of this book is 1 MB. This book has a total of 33 pages.


पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
आशुतोष उपाध्यायजीवनी1 MB33



पुस्तक से : 

गैलिलियो के लिए स्थितियां बद से बदतर होती ही जा रही थीं। 1614 में एक पादरी ने उनकी, पृथ्वी द्वारा सूर्य की परिक्रमा करने के उनके विचार की कड़ी निन्दा की थी। गैलिलियो के दोस्त परिस्थिति की गंभीरता को समझते थे। उन्होंने उनसे खामोश रहने और आगे न आने का आग्रह किया। गैलिलियो इस बात से इतने परेशान और चिंतित हुए कि वो बीमार पड़ गए और उनकी हालत और बिगड़ गई।

 

इन सबके बावजूद वो अपने दोस्तों की सलाह मानने को तैयार नहीं हुए। अपने नजरिए पर बहस करने का पक्का इरादा करने के बाद वो रोम चले गए। अब चर्च के अधिकारियों को तय करना था कि उनके साथ क्या किया जाना है। उन्होंने घोषणा की कि पृथ्वी ही ब्रह्मांड का केन्द्र है। यह विश्वास कि पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा कर रही है, चर्च के खिलाफ बहुत ही बड़ा अपराध था।

 

 

गैलिलियो समझ गए थे कि उनके पास कोई विकल्प नहीं है, इसलिए उन्होंने ये शर्तें मान लीं। उन्होंने सचमुच लाजवाब किताब लिखी थी, लेकिन उन्होंने पोप की चेतावनी को उतनी गंभीरता से नहीं लिया। गैलिलियो के दुश्मनों को इसमें एक मौका नजर आया।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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