गोस्वामी तुलसीदास हिन्दी पुस्तक | Goswami Tulsidas Hindi Book PDF

Goswami-Tulsidas-Hindi-Book-PDF


गोस्वामी तुलसीदास हिन्दी ग्रन्थ के बारे में अधिक जानकारी | More details about Goswami Tulsidas Hindi Book

इस ग्रन्थ का नाम है : गोस्वामी तुलसीदास | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं : आचार्य पंडित सीताराम चतुर्वेदी. इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : चौखम्बा विद्या भवन, बनारस. इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 20 MB हैं | इस पुस्तक में कुल 310 पृष्ठ हैं |

Name of the book is: Goswami Tulsidas | This book is written/edited by : Acharya Pandit Sitaram Chaturvedi. This book is published by : Chaukhamba Vidya Bhavan, Banaras. Approximate size of the PDF file of this book is: 20 MB. This book has a total of 310 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
आचार्य पंडित सीताराम चतुर्वेदीधर्म, जीवनी, भक्ति20 MB310


पुस्तक से :

आज हमारा देश स्वतंत्र है और स्वतंत्रता के उल्लास में यह उचित भी है कि तुम्हारे जैसे महाकविका स्थान सुरक्षित किया जाय, उसका अभिनन्दन किया जाय, उसके लिये स्मारक बनवाए जायँ। किन्तु क्या तुम स्वयं अपने स्मारक नहीं हो? क्या रामचरितमानस तुम्हारा कम महत्त्वपूर्ण स्मारक है? हिन्दू जातिपर भारतवर्षपर, सम्पूर्ण मानवतापर तुमने अपने महाकाव्यके दिव्य और शाश्वत संदेशों का जो अपार ऋण लाद दिया है उससे क्या कभी हिन्दू जाति, भारत और मानवता उऋण हो सकती है? वास्तव में तुम्हारा सबसे बड़ा स्मारक रामचरितमानस ही है। वह मानस, जिसे 'रचि महेस निज मानस राखा' और जिसे बड़े कौशल से लोक-भाषामें, ग्राम्यगिरा में ढालकर तुमने महेशके मानससे निकालकर लोक-मानसमें लाकर प्रतिष्ठित कर दिया। अपने जिस स्वान्तःकरणके सुखके लिये तुमने इस मानसकी लोकमें प्रतिष्ठा की है वह तुम्हारा स्वांतस् कितना गंभीर, कितना उदार, कितना विशाल और कितना कल्याणमय है? तुमने स्वयं उसके सम्बन्ध में कहा है कि यह वस्तु मेरी नहीं, यह तो 'सुरसरि सम सबकर हित' करनेवाली है।

 


विक्रमकी सोलहवीं शताब्दिके उत्तरार्द्ध में सहसा भारतीय जीवनाकाश में ऐसे दिव्य प्रकाशवान् नक्षत्रका उदय हुआ जिसने कोटिशः सूर्योंका प्रकाश मन्द करके सम्पूर्ण भावी जगत्को अपने अखंड देदीप्यमान प्रकाश-पुंजसे सदा के लिये आलोकित कर दिया और जिसकी सात्त्विक तपोवृत्ति और ज्ञानवृत्तिकी महत्ताके आगे उस समयके प्रतापी मुग़ल सम्राटोंका वैभव भी अत्यन्त तुच्छ और धुँधला प्रतीत होने लगा। वह ज्योतिष्मान् नक्षत्र था सन्त कवि 'महात्मा तुलसीदास' जिसकी अमर वाणी आज समस्त संसार अत्यन्त श्रद्धा, आश्चर्य और उल्लासके साथ सुन रहा है।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


डाउनलोड लिंक :

"गोस्वामी तुलसीदास" हिन्दी ग्रन्थ को सीधे एक क्लिक में मुफ्त डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए गए डाउनलोड बटन पर क्लिक करें |

To download "Goswami Tulsidas" Hindi book in just single click for free, simply click on the download button provided below |

Download PDF (20 MB)


If you like this book we recommend you to buy it from the original publisher/owner. Thank you.