गुनाहों का देवता हिंदी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Gunaho ka Devata Hindi Book
इस पुस्तक का नाम है: गुनाहों का देवता | इस पुस्तक के लेखक हैं : धर्मवीर भारती | पुस्तक का प्रकाशन किया है : अज्ञात | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 2 MB हैं | पुस्तक में कुल 214 पृष्ठ हैं |
Name of the book is : Gunaho ka Devata. This book is written by: Dharmveer Bharati. The book is published by: Unknown. Approximate size of the PDF file of this book is 2 MB. This book has a total of 214 pages.
पुस्तक के लेखक | पुस्तक की श्रेणी | पुस्तक का साइज | कुल पृष्ठ |
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धर्मवीर भारती | उपन्यास,कहानी | 2 MB | 214 |
पुस्तक से :
लगता है कि इस शहरकी बनावट, गठन, जिंदगी और रहन सहनमें कोई बँधे-बँधाये नियम नहीं, कहीं कोई कसाव नहीं, हर जगह एक स्वच्छन्द खुलाव, एक बिखरी हुई सी अनियमितता। बनारसकी गलियों से भी पतली गलियाँ और लखनऊकी सड़कों से चौड़ी सडकें। यार्कशायर और ब्राइटनके उपनगरोंका मुकाबला करने वाले सिविल लाइन्स और दलदलों की गन्दगीको मात करने वाले मुहल्ले मौसममें भी कहीं कोई सम नहीं, कोई सन्तुलन नहीं।
कार मुडी और कपूर बॉस फॉदकर अन्दर घुसा। आगे का पोर्टिको खाली पड़ा था और नीचेकी जमीन ऐसी थी जैसे कई साल से उस बॅगले में कोई सवारी गाड़ी न आयी हो। वह बरामदेमें गया। दरवाजे बन्द थे और उन पर धूल जमी थी। एक जगह चौखट और दरवाजेके बीच में मकड़ी ने जाला बुन रखा था। यह बँगला खाली है क्या?' कपूर ने सोचा। सुबह साढ़े 8 बजे ही वहाँ ऐसा सन्नाटा छाया था कि दिल घबरा जाय। आस-पास चारों ओर आधी फर्लांग तक कोई बँगला नहीं था।
और उसके बाद किसीने अपने दोनों हाथोंमें जकड़ लिया और उसकी गरदन पर सवार हो गया। वह उछल पड़ा और अपनेको छुड़ानेकी कोशिश करने लगा। पहले तो वह कुछ समझ नहीं पाया। अजब रहस्यमय है यह बँगला। एक अव्यक्त भय और एक सिहरनमें उसके हाथ-पाँव ढीले हो गये। लेकिन उसने हिम्मत करके अपना एक हाथ छुड़ा लिया और मुड़कर देखातो एक बहुत कमजोर, बीमार-सा, पीली आँखों वाला गोरा उसे पकड़े हुए था। चन्दरके दूसरे हाथको फिर पकड़ने की कोशिश करता हुआ वह हॉफता हुआ बोला...
(नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)
डाउनलोड लिंक :
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