हरिवंश पुराण हिंदी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Harivansh Puran Hindi Book
इस पुस्तक का नाम है : हरिवंश पुराण | इस पुस्तक के लेखक/प्रकाशक है : गीता प्रेस, गोरखपुर | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 88 MB हैं | पुस्तक में कुल 1421 पृष्ठ हैं |
Name of the book is : Harivansh Puran. This book is written/Published by : Gita Press. Approximate size of the PDF file of this book is 88 MB. This book has a total of 1421 pages.
पुस्तक के लेखक | पुस्तक की श्रेणी | पुस्तक का साइज | कुल पृष्ठ |
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गीता प्रेस | पुराण,भक्ति,धर्म | 88 MB | 1421 |
पुस्तक से :
यह कथा अलौकिक, पुण्यमयी और पापों से मुक्त करने वाली है, इसमें धर्म, अर्थ, मोक्ष आदि अनेक पुरुषार्थों का वर्णन किया गया है, इस वेद के समान माननीय तथा आश्चर्यमयी कथा का मैं आपसे वर्णन करता हूँ, जो व्यक्ति भी इस कथा को सुनता है और अपने हृदय में धारण करता है या फिर इसको पुस्तक के रूप में अपने घर में स्थापित करता है अथवा बार-बार इसको सुनता है, वह अपने वंश को स्थापित करने में सफल होता है तथा अन्त में स्वर्गलोक में प्रतिष्ठित होता है।
प्रजापालक भगवान् ब्रह्मा ने ध्रुव से अति प्रसन्न होकर उनको सप्तर्षियों के सम्मुख एक अलौकिक, अचल स्थान प्रदान किया। ध्रुव की भारी समृद्धि और असीम महिमा को देखकर देवता और असुरों के आचार्य शुक्राचार्य ने एक श्लोक का गान किया— 'इन ध्रुव के तपोबल को देखकर अत्यंत ही आश्चर्य होता है, इनका शास्त्र ज्ञान भी विस्मयविमुग्ध कर देता है और इनकी शक्ति भी बड़ा ही अद्भुत है, तभी तो ये सप्तर्षि भी इनको अपने आगे स्थापित करके स्थित हैं ।
बृहस्पति की बहन का नाम ब्रह्मचारिणी था, वह योगसिद्ध श्रेष्ठ स्त्री आसक्ति को त्यागकर सारे संसार में विचरण किया करती थी। वह प्रभास नाम वाले आठवें वसु की भार्या बन गयी, फिर उसके गर्भ से विश्वकर्मा नामवाले महाभाग्यवान् प्रजापति उत्पन्न हुए। उन्होंने हजारों शिल्पों की रचना की है और वे देवताओं के बढ़ई हैं।
(नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)
डाउनलोड लिंक :
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