हस्त रेखा विज्ञान हिन्दी पुस्तक | Hast Rekha Vigyan Hindi Book PDF

                                   

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हस्त रेखा विज्ञान हिंदी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Hast Rekha Vigyan Hindi Book

इस पुस्तक का नाम है: हस्त रेखा विज्ञान | इस पुस्तक के लेखक हैं : गोपेश कुमार ओझा |  पुस्तक का प्रकाशन किया है : अज्ञात | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 16 MB हैं | पुस्तक में कुल 622 पृष्ठ हैं |

Name of the book is : Hast Rekha Vigyan. This book is written by: Gopesh Kumar Ojha. The book is published by: Unknown. Approximate size of the PDF file of this book is 16 MB. This book has a total of 622 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
गोपेश कुमार ओझाज्योतिष,धार्मिक16 MB622



पुस्तक से : 

सर्वप्रथम हस्तरेखाके मूल सिद्धान्तोको हृदयस्थ कर लेना चाहिये । यह पुस्तक के कई बार पठन और मनन से होगा। जो लोग इस पुस्तकको कही से भी खोलकर किसी एक रेखा का फला देश मिलाने की चेष्टा करेंगे उनका फलादेश बहुत से स्थानो मे गलत हो जायगा। इस का कारण यह है कि ज्योतिष शास्त्र की भाँति हस्तरेखा विज्ञानमें भी गुण-दोष की तुलना करना, किस गुणकी ओर सब लक्षण झुकते है या दोषो की अधिकता है तो, किस दोष का मार्जन होता है किनका नहीं, यह परमावश्यक है। ज्योतिष शास्त्रमें किसी एक भाव ( जैसे धन विचार या मातृ सुख विचार ) का विचार करने के लिये जैसे यह देखा जाता है कि इस भावका स्वामी किस राशि में है, किस नवाश मे है, दशवर्गो मे शुभ वर्गों मे है या पाप वर्गोंमे मित्र वर्गों मे या शत्रु वर्गो मे, भाव का स्वामी किन ग्रहों से दृष्ट या युत है, वह देखने वाले ग्रह बलवान हैं- शुभ वर्गों मे या अशुभ वर्गों मे, किन ग्रहोसे स्थान - विनिमय है,

 

कहावत है कि 'शतमारी' वैद्य होता है अर्थात् सैकडो-हजारो व्यक्तियोका इलाज करते-करते जब अपनी गलती से ( गलत निदान और गलत औषधि देकर) एक सौ रोगियों को मार चुकता है तब कही वैद्य की बुद्धि, ज्ञान और अनुभव परिपक्व होते है। उसी प्रकार हजार-दो हजार, तीन हजार हाथ देख लेनेके बाद अच्छा अनुभव प्राप्त होता है । यदि किसी हाथ मे कोई लक्षण देखने मे आवे तो नवीन हस्त - परीक्षको को चाहिये कि उनके अनुमान से जो फला देश आता है वह जातक के जीवनमे घटित हुआ या नही यह पूछे।

 

 

भारतीय मत यह है कि पुरुषोका दाहिना हाथ तथा स्त्रियो का बायाँ हाथ प्रधान होता है । पाश्चात्य मत इस सबंधमे भिन्न-भिन्न है । कुछ पाश्चात्य हस्त-परीक्षक स्त्री-पुरुष दोनो के बाये हाथको ही प्रधानता देते है, कुछ दाहिने को। ईसा से ३५० वर्ष पूर्व सिकन्दर महान् के गुरु सुप्रसिद्ध दार्शनिक एरिस्टोटिल हुए। उन्होंने लिखा है कि हृदय के विशेष समीप होनेके कारण बाये' हाथ का अधिक महत्व है। किंतु अधिक सम्मत मत यह है कि दाहिने हाथको प्रधान मानना चाहिये । बाये हाथ मे जन्मजात गुण - अवगुण अविकल रूप से रहते है ।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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