हस्त रेखाएं बोलती हैं हिन्दी पुस्तक | Hast Rekhayen Bolti Hai Hindi Book PDF

                                 

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हस्त रेखाएं बोलती हैं हिंदी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Hast Rekhayen Bolti Hai Hindi Book

इस पुस्तक का नाम है: हस्त रेखाएं बोलती हैं | इस पुस्तक के लेखक हैं : कीरो |  पुस्तक का प्रकाशन किया है : अज्ञात | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 5 MB हैं | पुस्तक में कुल 250 पृष्ठ हैं |

Name of the book is : Hast Rekhayen Bolti Hai. This book is written by: Cheiro. The book is published by: Unknown. Approximate size of the PDF file of this book is 5 MB. This book has a total of 250 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
कीरोज्योतिष5 MB250



पुस्तक से : 

मनुष्य की प्रकृति के विश्लेषण, अध्ययन और परीक्षण करनेके जितने क्षेत्र हैं, उनमें हाथको सबसे अधिक महत्व का स्थान प्राप्त होना चाहिए। हाथ के परीक्षण से न केवल मनुष्य जाति की खामियों या कमियों या दोषों को जाना जा सकता है, परन्तु यह भी ज्ञान हो सकता है कि उन दोषों या कमियों को किस प्रकार दूर किया जा सकता है। हाथ आचरणकी उस बन्द अलमारी की चाभी है जिसके अन्दर प्रकृति न केवल दैनिक जीवन को प्रेरक शक्तिको बल्कि उन अन्तनिहित क्षमताओं और गुणों तथा कार्य शक्तियोंको भी छिपाकर रखती हैं, जिनको हम स्व को पहचानकर, अपने जीवन में कार्यान्वित कर सकते हैं ।

 

हस्त-विज्ञान का ज्ञान भारतमें जन्म लेकर दूर देशों तक फैल गया। वहां उसमे सम्बन्धित नियमों और सिद्धान्तों का अध्ययन किया गया। उसपर विचार विमर्श हुए, व्यावहारिक रूप से उसकी परीक्षा की गई और इस प्रकार हस्त-विज्ञान की प्रगति और अनुपालन होने लगा। जैसे विभिन्न जातियों के लोग विभिन्न धर्मोंको प्रचारित या प्रस्तावित करते हैं उसी प्रकार हस्त-विज्ञान की विभिन्न प्रणालियां और वर्गीकरण बनते गये और प्रचारित होने लगे । जैसा हम कह चुके हैं, हस्त विज्ञानका प्राचीनतम लिपिबद्ध अभिलेख भारत में था।

 

 

मैं निकटतम मरीज के पलंग के पास गया और बिना मरीजको देखे उसका हाथ देखने लगा। न तो मैं हस्त-विज्ञान में अधिक विश्वास करता था और न ही मुझे उसका कोई विशेष ज्ञान था। इतना मैं अवश्य जानता था कि हाथमें पांच मुख्य रेखायें होती हैं, उनके नाम क्या हैं और यह नियम कि रेखाका किसी स्थान में टूटना दुर्भाग्य सूचक होता है। मैंने हाथों की परीक्षा की ओर देखा कि जीवन रेखा दोनों हाथों में टूटी हुई थी और भाग्य रेखा अपनी नियमित लम्बाईके एक चौथाई भाग को पार करके रुक गई थी और उसके अन्त पर क्रासका चिन्ह अंकित था।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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